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(२८) ॥ गाथार्थ ॥
और तुच्छ निद्रा होय, वली तुच्छ प्रारंभ होय, जेमज कषाय तुच्छ होय तो तेहने तुच्छ संसार जाणवो.४.
आ भरत क्षेत्र मां के जीव मिथ्यादृष्टी छे भद्र छे, भव्य छेतिक मरीने नवमें वरसे होवेगा केवली. ५.
२७७वे प्रश्न में श्लोक है उस का अर्थः
दर्शन छ ना ए नाम छे-बौद्ध शून्यवादी १ नैयायिक षोडश पदार्थ वादी २ सांख्य तीन प्रकृति वादी ३ जैन स्याद् वादी ४ वैशेषिक षट पदार्थवादी ५ जैमिनि मीमांसक वादी ६. . . .
२८२वें प्रश्न में 'केन ग्रन्थीइत्यादि' संस्कृत पाठ माया है उस का अर्थः-- ..
किसने गांठ छोडाने बाह्य अभ्यंतर परिग्रह चोवीस छे तेहनी विगत खेत १ घर २ धन ३ धान ४ दासादि द्विपद ५ चोपद ६ यान ७ शय्या ८ शयन भांडा १० कुपद घर विखरी ए दश प्रकारे परिग्रह ते बाह्य ग्रंथी छे.१. मिथ्यात्व । तीन वेद ४ हास्य, रति,अरति,भय,शोच,दुगंछ ए छ६नो कषाय मिलि १०,
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