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॥ गाथार्थ ॥ (२५) करीने ते छद्म कहिये. ज्ञानावरण दर्शनावरण मोहनीय अंतय कर्म उदय छतां तेमां केवल ज्ञान को उपजवो नथी, माटे छम छे. ते छद्मवेगलो जाय तिवारे नजीकज केवल ज्ञान उपजे ते छद्म ने विषरहे ते छद्मस्तछे. ....२.५५ वें प्रश्न में ‘काले सुपत्त : इत्यादि गाथा आई हैं उन का अर्थः --- .... काले सुपात्र दान १ अने सम्यक्त निर्मल बोधि लाभ२ समाधिः मरण ३ एतला वाना अभव्य जीक छे ते न पामे.१. ___ व्रत ग्रहण किया जिण दिवस थी अखंड चारित्र जिणरो एहवो वली गीतार्थ तेहने पासे सम्यक्त व्रत ग्रहण करवा तथा आलोयण लेवी कही छे.२. . .::
किहांई जीव बलवान छे किहांइ कर्भ बलवान छे अने जीव ने कर्म ने अनादि नो संबंध बंध्यो. छे.३.
__काल १ स्वभाव २ नियती निश्चय होणहार. ३. पूर्व कृत ते पुण्य ४ पुर सक्कार ते.उद्यम ५ ए पांच