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॥ गाथार्थ ॥
(१७)
ईसी प्रश्न में 'अंतमुहुत्तमित्ता' इत्यादि गाथा आई है उस का अर्थ:
अंतर्मुहूर्त्त चित्तनो रहिवो एक वस्तु नें विषे ते छद्मस्त नो ध्यान छे. अने जोग नो रोकवो ते जिन नो ध्यान छे.
वें प्रश्न में ' उसम पिया' इत्याथि गाथा
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आई है उस का अर्थ:--
ऋषभ ना पिता नागकुमार मे, अजितादि सात ना ईशाण देव लोक में गया, अने आठ नवमांथी आठ तीर्थकर ना पिता सनत्कुमार देवलोके गया, अने सतरमां थी आठ ना पिता माहिंद देव लोक मे गया १. आठ पेला तीर्थंकर थी ले तीर्थंकर नी मातो सिद्धि गति में गई. तेथी आठ नी माता मनत्कुमार देवलोके गई. तेथी आठ माहिंद देव लोके गई.
१८३ प्रश्न में ' सामग्रीअ ' इत्यादि गाथा श्राई है उस का अर्थ:
जे भव्याभव्य जीव ते सामग्री नें न प्रामतो ते
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