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॥ गाथार्थ ॥
(१५)
अने खोटी कुटी ए शरीर तेनो अंड ते मुख केम के ए शरीर ने मुख प्रथम थाय माटे ए अंड छे. शरीर नें एतावता शरीर नो मुख तेमां जेटलूं सुखे मावे, खावा में सुखे खवाय ते माटे कुकुटी अंड प्रमाण कवल बत्रीस नो पूरो अहार छे एम जाणवुं.
१६४ वें प्रश्न में 'अच्छि श्रणंता जीवा' इत्यादि गाथा आई है उसका अर्थ:
अनंता जीव एह जे हुई त्रसादि पणो पण न पाम्यो उपजी रह्या छै अने चवि रह्या छे ते निगोद मांहिज वारंवार ए गाथार्थः
१६८वें प्रश्न में 'येषां हि वस्त्रे' इत्यादि संस्कृत काव्य है उस का अर्थः
जेहुना वस्त्र मां जुं न पडे १ जिहां विचरे ते देश नो भंग न थाय २ देश मां चिंता न उपजे ३ पग नो धोवण पीवे तेनो रोग नाश थाय ४ ये च्यार श्रतिशय. अने बीजा जे युग प्रधान नाम धरानारा पेटभरा छे.