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॥ रनसार ॥
पण३तीन प्रकार नी देसना पापै छै.यथार्थ वाद १ विधि वाद २ चरितानुवाद ३ ए तीन प्रकार नी देसना ने मध्ये यथार्थ वाद देसना जीव अजीव नां स्वरूप धारया, प्रणम्यां थकी वस्तु तत्वनो प्रकाश थाइ तिणे भाव कर्म रोग मिटै १. तथा विधि वाद देसना महा वृत देस विरत ते रूप क्रिया शुभोपयोगै आचरतो द्रव्य कर्म रोग मिटै, कर्म नो काट उतरै२. तथा चरितानुवाद देसना थी शरीर संबंधी काम भोग विषय कषाय थी निवर्ती जिम जंबू स्वामी प्रमुख महा मुनि एहूना चरित्र भवै वैराग्य ना गुण प्रगटै, तेह थी नोकर्म नो रोग मिटै ३. इम तीन प्रकारनी देसना ते तीन प्रकार ना कर्म रोग मिटाववाना कारण. ए भाव. .
___७८. हिवै दर्शन, ज्ञान, चारित्र, वीर्य गुण ते कुण हेतु पमाड़े ते अठ्योत्तरमो प्रश्न कहै छैः-धर्म सांभलवो अभ्यास उद्यम एटली जेहनी रुचि होई ते सम्यक् दर्शन गुण ने पमाडे. तथा तत्वातत्वगवेषणा बुद्धि होय ते सम्यक् ज्ञान गुण ने पमाडै. तथा पांच