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॥ रत्नसार ॥
(७१)
हिवै समोहिया असमाहिया मरण तेह नो अर्थ सूत्रे छै ते एकसोमो प्रश्न लिखिये है: - समोहिया ते श्युं ? जे इहां थी जीव निकलै, समकालै सर्वे प्रदेश लेइनें पर भव जाइ; जिम दडो छूटो नाखै तो दड़ाना प्रदेश साथै जाय, तें समोहिया मृत्यु कहिये १. अने असमोहि मरणै तो जीव ना प्रदेश श्रेणी बंध जाइ आगल थी मोकलै. अथवा जीव निकल्यां पछी पछवाडै जाइ मिलै. श्रेणीगत जाइ पडाइ ना दोड नी परें. ए रीते सूत्र छै. ए भाव.
१०१. जीव ने उपयोग गुण ते सम्यक्त, अने ठरण गुण ते चारित्र ते आचारवा ने कुण बलवत्तर छै ते एकसौ पेलो प्रश्नः - जेहवो आत्मा नो उपयोग वस्तु आत्म जीवन गुण आवरवानें मिथ्यात्व बलवत्तर है. तिम एह नी प्रणमन सुख निवारवानें अविरत्यादि हेतु बलवत्तर छै. ते माटै मिध्यात्व नें उदै सम्यक्त गुण न पामै. अविरत नें उदै चारित्र गुण स्थान रूप न पामै. ते माटे एह नी प्रणमन उपयोग एकाग्र रूपै प्रणमै