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(१२) ॥गाथार्थ ॥
१५६ प्रश्न में 'बंधण १ गई २' इत्यादि गाथा आई है उस का अर्थः-- ___ बंधन, गति, संठाण, भेय, वर्ण, रस, गंध, स्पर्श, अगुरु लघु अन शब्द ए दश परिणाम अजीव छे. ___ इसी प्रश्न में 'जीवेण केहवी फासि' इत्यादि गाथा आई है उस का अर्थः
जीव किवारे इपण न फरस्यो अंतर्मुहूर्त पण सम्यक्त जे माटे सम्यक्त फरस्यां पछि निश्च अर्द्ध पुद्गल मां न्यून संसार भमवो बाकी रहे छै. इति गाथार्थः - ... इसी प्रश्न में 'पुद्गलनां परावर्त' इत्यादिक संस्कृत आई है उस का अर्थः
पुद्गल नो पलटवो ते पुद्गल परावर्त्त कहिये. ते पुद्गल परावर्त्त मांहि थी कांइक ओछो अर्द्ध पुद्गल परावर्त्त. एतावता अर्द्ध विशेष गयो पुद्गल परावर्त्त ते अपाई पुदगल परावर्त्त कहिये. . इसी प्रश्न में 'अंतर्मुहूर्त्त अष्ट समयोर्द्ध इत्यादिक संस्कृत आई है उस का अर्थ:
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