________________
(२००) ॥ रत्नसार ॥ सिद्धि वरे तेतला सूक्ष्म निगाद मांहि थी निकले, व्यवहार राशी में श्रावै. एक समै एक, बे, त्रण,उत्कृष्ट एक .समै अढी ध्वीप माहे १०८ सिद्धि वरे, तेतला सूक्ष्म निगोद मांहे थी नीकली व्यवहार राशि पणौ पामें. तथा व्यवहार राशी निगोद ना गोला माहे जाय तो एक समै एक १ बे२ व्रण ३ इम अनंता सुधी जाय ते व्यवहार राशिया निकलै तो अनंता सुधी एक समै निकलै पण अव्यवहारिया ते एक समै उत्कृष्ट १०८ निकलै ते मांहि भव्य अभव्य बे होइ. ते सूक्ष्म निगोद ना अनंता निकल्या बादर निगोद मांहे समाये, बीजा मांहे नहीं. तथा एक सक्ष्म निगोद मांहे अनन्ता जीव केतला छै ? त्रिण्य काल ना जेतला समय अनन्ता छै तेथी अनंताजीव एक निगोद मांहि छै.तिणै करी जिवारै पूछै तिवारै जिनेश्वर कह्य छै( एकस्स निगोदसउ सओ अनंत भागोये सिद्धि गयो) एतले सूक्ष्म निगोद थी बादर निगोद मांहे निरंतर श्रावै छै. ते आवे तो एक समै १०८