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॥ रत्नसार ॥ (१९९) पर्यंत रहै. पछे प्रथ्व्यादिक थानक फरसतो ऊंचो श्रावी ने मनुष्य थाई. तिहां व्यवहार राशिओ भव्य जीव सामग्री मिल्ये बोध बीज पामी सिद्धि वरै. तथा वली कोई वाचनाई इम का छै जे कंद मूल साधारण माहि थी जीव सूक्ष्म गोलक माहि जाइ तो उत्कृष्टो काल रहे तो असंख्याती उत्सर्पणी अवसर्पणी काल तांइ सूक्ष्म निगोद गोलक मांहे रहे, तिहां थी निकल्यी बादर निगोद कंद मूल माहें उत्कृष्टो ७० कोडा कोडी सागरोपम ताई रहै. इम सम्बनध छै. निगोद मिली आवागमन करतां उत्कृष्टं अढी परावर्त पुद्गल ताई व्यवहार राशियो जीव निगोद मांहि रहै. एक निगोद नो गोलो असंख्याता आकाश प्रदेश अवगाही रह्यो तथा अव्यवहार रशिया जे निगोदिया ने गोलक माहे छै भव्य स्थिती परि पक्क ताई ऊंचा आवे ते एक समै उत्कृष्टै केतला निकलै इति प्रश्नः- जेतला अढी द्वीप मांहि थी सकल कर्म खपावी एक समै जेतला