Book Title: Ratnasar
Author(s): Tarachand Nihalchand Shravak
Publisher: Tarachand Nihalchand Shravak

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Page 279
________________ ॥ गाथार्थ ॥ (९) ७६वे प्रश्न में 'यथोक्तं समुद्र वत्' पाया है उस का अर्थः . जेम का के समुद्र नी पठे कटोरो भरयो ते समुद्र जेहवा, ए हीन ने अधिक श्रोपमा. अने कटोरा नी पठे समुद्र भरयो छे, ए अधिक ने हीन ओपमा. ___ ७९वें प्रश्न में 'एकस्याल्प' इत्यादि आर्या आई है उस का अर्थः एक ने अल्प हिंसा छे ते अपि कालांतरे बहु फल. एटले अल्प हिंसा पण बहु कष्ट प्रापे: अने बीजाने महा हिंसा ते परिपाक काले थोडं फल देनारी थाय. ए आर्या छंद नो अर्थ. ६३वे प्रश्न में 'सत्तरिसय' इत्यादि गाथा आई है उस का अर्थ:- एक सो सित्तर तीर्थकर उत्कृष्ट काले जाणवा. वीस विहरमान जिन समय क्षेत्र में अथवा भरतेरवत ना दश अथ वीस जनमे एक समे विहरमान दश जनमे भरतेरवतना.

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