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॥ रत्नसार ॥
( १९७)
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एतला वरस एक ना श्वासोसास थाइ एतला मांहि निगोदिओ जीव ७० कोडी७७ लाख ८८ हजार नें ८०० एतली वार मरे, श्रागल ए रीते ए असंख्याते कालै असंख्याता अधिक भव कीधा, इम अनंते कालै अनंता भव कीधा. इम जिन वचन तहत करी मानिये. इति.
२ ६६. तथा एक गोला मांहि असंख्याति निगोद छै. ते निगोद ने एक शरीरे अनंता जीव है एतले अनंतै जीवै मिली एक शरीर बंध्यू छै. आप श्रापणै तेजस कार्मण जुदा है. उदारीक एक छै. साथै श्राहार नीहार, साथे मरण, २५६ श्रावली नो आयु भोगवी पर्याप्त पूरी करी मरै, तेहनी निश्राइं बीजा कोई पर्याप्ता ( पाठांतरे अपर्याप्तो ) होइ नहीं. ते अनंता केतला छै ? जेतला कंद मूल मध्ये अनंता हैं. कंद मूल चवदह राज प्रमाणै ढिगली करिये ते मांहि पण सूक्ष्म निगोद ना एक शरीर ना अनंता नीकल्या ते मांहि न समाई. एहवा अनंता अनंतै भेदे घणा छै.