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(१९८) ॥ रत्नसार ॥ तेहना निकल्या ते मांहेज समाइ. तथा कंद मूल नाते बादर निगोदिया व्यवहार राशी मांहि आव्या छै, ते अनंता कंदादिक मांहि छै. तथा जेतला जीव सूक्ष्म निगोद गोलक मांहि थीनिकल्या छै ते व्यवहार राशी माहे आव्या. ते कालादिक लब्धि पामी सिधी वर. तेतला अव्यवहार निगोदं मांहि थी नीकली ऊंचोव्यवहार मांहि श्रावै, पण व्यवहार राशी ओछी न थाइ. कदापि मुक्ति जावा ना विरह काल होइ, तेतला काल ताई सूक्ष्म अव्यवहार राशिओ निगोद नो जीव कोई व्यवहार राशीमाहेनावे एहवो उपमिति ग्रंथे कडूंछै. तथा व्यवहार राशी या बादर निगोद मांहें जे अनंता छै ते फरी कर्म नी बहुलताइ सूक्ष्म निगोद गोलक मांही जायें ले ७० कोडा कोडी सागरोपम ताई तिहां रही वली पाछा कंदादि के साधारण मांहि आवै. इम संबंधे सूक्ष्म निगोद ना बादर निगोद मांहि आवै, वली बादर ना सूक्ष्म मांहि जाई. इम बे थानिके श्रावा गमन करतां जीव उत्कृष्टो रहै तो अढी परावर्त पुद्गल