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॥ रत्नसार ॥
(२१३)
नियाणा नो धणी सर्व विरति पणो पामै पण मोक्ष न होइ. इति नव नियाणा अधिकार जाणवा.
२८७. पुरुष वेद काय थितै रहै तो सागरोपम ६०० झारा रहै. स्त्री वेद रहै तो पाल्योपम ११० पृथक्त पूर्व कोडि ६ रहै. नपुंसक वेद रहै तो अनंती उत्सर्पिणी अवसर्पिणी शुद्धि रहै. पंचेंद्री नो पंचेंद्री प रहै तो सागरोपम १००० झारा तथा जीव स काय मांहि श्रावी सप रहै तो सागरो पम २००० झामेरा रहै.
२८८. पांच ज्ञान त्रण्य अज्ञान काल थकी जघन्य तथा उत्कृष्टै तलो काल रहै इति प्रश्नः - मति ज्ञांनं अने श्रुत ज्ञान नो काल जघन्य थी अन्तर्मुहुर्त्त उत्कृष्ट काल सागरोपम ६६ भामेरा रहै. अवधि ज्ञान नो काल जघन्य थी एक समै उत्कृष्टै ६६ सागरोपम झाझेरा. अवधि ज्ञान एक समै ते किम ? विभंग ज्ञानी समकित पडीवजे तिवारें विभंग फीटी