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॥ रत्नसार ॥
गुणठाणा १३ मां तांई. गोत्र कर्म उदीरणा गुण ठाणा १३ मां तांई. अंतराय कर्म उदीरणा गुण ठाणा १२ मां तांई. इति.
२६१. अथ हिंवै ज्ञानावर्णी कर्म सत्ता गुणठाणा १२मां तांई. दर्शनावर्णि कर्म सत्ता गुण ठाणा १२ मां ताई. वेदनी कर्म सत्ता गुण ठाणा १४ तांई. मोहनी कर्म सत्ता गुण ठाणा ११ मां तांई. आयु कर्म सत्ता गुण ठाणा १४ मां तांई. नाम कर्म सत्ता गुण ठाणा १४ मां तांई. गोत्र कर्म सत्ता गुण ठाणा १४ मां तांइ. अंतराय कर्म सत्ता १२ मां गुण ठाणा तांई होइ.
ए बंध, उदय, उदीरणा, सत्ता नुं स्वरूप कहूं ए सर्व भाव केवल ज्ञानी एक जीव स्वरूपें द्रव्य गुण पर्याय छै तेहवा अनन्ता जीव देखे. एकेक जीवनें अनन्ता कर्म जे रीत है तें देखें. एकेक जीव ना अनंता भाव देखै छै. भाव ते परिणाम इम केवली