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|| रत्नसार ॥
केवली केवल समुदघात अढि द्वीप मांह थी करै तिम ए पिण. श्याम माटे? जे दंडाकार अढी द्वीप बाहिरे न थाई. इति. . २६३. तथा केवली पण केवल समुदघात करे तिवारे पोतना जे८ आठ रूचक प्रदेश छै ते मेरू ना मध्य जे रूचक प्रदेश छै तिहां थाई पछै ते रूचिक थकी संपूर्ण चौदे राज्यात्मक लोक पूरे. एरीते धारयू छै. लोक प्रकाश ग्रंथ कह्यो छै. ए भाव. ... २६४. अथ निगोद नो विचार लिखे छै. असंख्यात प्रदेशी लोक ते प्रमाणे गोला पण असंख्याता छै. गोला तेश्युं ? असंख्याति निगोदें एक गोलो. इति प्रश्न. ते ऊपरे गाथा- ( कया ते लोए असंख जोयण प्रमाणे एइ जोयणां गुला संख्या। पईत्तं असंख अंसापई असम असंखया गोला ॥ १॥ गोलो असंख निगोश्रो सोणंतजीओ जिय पईयं । एसा असंख पई एसं कमाण वंगाणाणता॥२॥पई वगणं अणंता अणुअप्पई अणु अणंत पज्जाया । एवं लोग सरूवं भावि जतहत्त