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॥ रत्नसार ॥ (१०७) शुद्ध व्यंजन पर्याय कहीजे. एवं आकाश द्रव्यं ६. इति षट् द्रव्य हानि वृद्धि समाप्तः .
हिवै षट् द्रव्य ना गुण पर्याय जाणवा ने गाथा कहै छै-(परिणाम जीव मुत्ता संपऐसाएग खित्त किरियाय निच्चं कारण कत्ता, सवगदं मियर पर्वसा. १.) .
१३७. परिणामीक कुण द्रव्य? जीव पुद्गल ए बे परिणामीक.च्यार अपरिणामीक ते किहा ? धर्म द्रव्य १ अधर्म द्रव्य २ काल द्रव्य ३ आकाश द्रव्य ४ एवं च्यार अपरिणामीक.
१३८. कौण द्रब्य जीव कौण द्रब्य अजीव ? ४ च्यार प्राण ने करी जीव पूर्वही जीवै छै. सुख, सत्ता, बोध, चैतन्य ये भी च्यार प्राण * करी सदा कालै जीवै छै. इति जीव, पंच द्रव्य अजीव पुद्गल द्रव्य १ धर्म द्रव्य २ अधर्म द्रव्य ३ काल द्रव्य ४ प्रकाश द्रव्य ५. २ ___ * इन्द्री प्राण, बल प्राण, श्रायु प्राण, स्वासोस्वास प्राण, ये च्यार द्रव्य प्राणै करी जीवै छै, जीव्यो हतो, जीवशे. अने भाव प्राण सुख, सत्ता, बोध, चैतन्य करी जीवै छै, जीव्यो हतो, जीवशे.