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॥ रत्नसार ॥
छै:- पहिलो कर्णेद्री ना भेद १२बार ते किम होइ? सच्चित शब्द रूडा, मयूर, कोकिला प्रमुख ते १. अचित शब्द मृदंग, ताल प्रमुख २. मिश्र शब्द पुरुष तथा स्त्री ते मांहि वस्त्रादिक वांट भेरी प्रमुख ते ३. ते शुभ अशुभ भेद छःते छः भेद रागै अने द्वेषै एवं १२ भेद श्रोतेंद्री ना विषयविकार जाणवा ४.
२ हिवै चक्षु इंद्री तेहना ६० साठ विकार जाणवा ते किम ? वर्ण पांच ते बिहुँ प्रकारै शुभ अशुभ, शुभ ते रत्नादिक, अशुभ वर्ण कैशादि एम १० दस भेद. ए सचित रत्नादि अने अचित गुली प्रमुख मिश्र स्त्री पुरुष प्रमुख भेर्दै त्रिगुण करतां३०तीस भेद थाइ. ते रागै अने द्वेषै इम बमणा करतां ६० साठ थाइ४. . ३ घ्राणेंद्री तेहना १२ बार भेद. गन्ध बेहु प्रकारे--सुरभिगन्धं,दुरभिगन्ध, सचित पुष्पादि शुभ अशुभ लक्षणादि. अचित कस्तूरी प्रमुख शुभ, अचित विष्टादिक प्रमुख अशुभ, मिश्र पदमनी स्त्री