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(९४) ॥ रत्नसार ॥ पर्याय कह्या छै. तथा दीवा नो जे बाहिरें प्रकाश रूप जे दीसै छै ते प्रकाश रूप पदगल ने निमित्तै अपर विश्रसा पुद्गल श्रेण बंधे जमाव थाइ छै ते दीसै छै. तेहने निमित्त पण दीवा मध्ये जे अग्निना जीव छै तेहना पर्याय नहीं तेह ना गुण पर्याय दाहक रूपे छे ते जिहां व्यापै तिहां बाली भसम करै. ते माटे ए विश्रसा पुद्गलनो जमाव जाणवो. जिम पारसी मध्ये मुख जोतां आपणा शरीर समान सर्व पुद्गल दीसै छै ते काई आपणा शरीर ना पर्याय आरसी मांहि गया नहीं. पण ते पारसी नो निमित्त पामीने मुख जेहवा विश्रसा पुद्गल श्रेणी बंध जमाव थाय ? पण जीव ना नहीं, यथा शरीर नी छाया इत्यादिक सर्व विश्रसा पुद्गल जाणवा. ए भावार्थ. इति दीपक प्रश्न. -- १३२. हिवै यथा शास्त्र १४ चउद गुण वक्ता ना 2 तथा १४ चउद गण श्रोता ना छै ते नाम मात्र थी जाणवा हेतै लिखिये छै ते एकसौ बत्तीसमो प्रश्नः- आगम मध्ये कह्या छ जे सोले बोल ना