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॥ रत्नसार ॥ (१०३) स्थिति एकाक्षर ने अनन्तमें भाग पर्याय ते ज्ञान मानि रहै तिहां अशुद्ध अर्थ पर्याय कहीजे. जीव नो उत्पाद व्यय ध्रुव संयुक्त, एक गति नो उत्पाद,अन्य गति नो व्यय, ध्रुव द्रव्य शास्वत, ए जीव ना शुद्धाशुद्ध द्रव्य गुण पर्याय.
२अथ पुद्गल महास्कंध अपेक्षया सर्वगत भिन्न २ परमाणु अपेक्षाय असवगदं (असर्वगत).
अथ पुद्गल द्रव्य ना भेद-एक शुद्ध पुद्गल द्रव्य १ एक अशुद्ध पुद्गल द्रव्य २. शुद्ध पुद्गल द्रव्य किम् ? आकाशके प्रदेश शुद्ध अविभागी प्रमाण अछेद अभेद तिष्ठे तिहां शुद्ध पुद्गल द्रव्य. हिवै अशुद्ध पुद्गल ते युं ? जे द्विणुकादि स्कंध मिल्या ते अशुद्ध पुद्गल.
अथ पुद्गलग ना द्रव्य ना गुण भेद.एक शुद्ध गुण, एक अशुद्ध गुण. शुद्ध गुण किम् ? अविभागी परमाणु वीस गुण संयुक्त तिष्ठे तिहां पुद्गल के शुद्ध गुण कहीजे.अशुद्ध पुद्गल गुण किम् ? विंशति आदि