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(९६) ॥ रत्नसार ॥ सांभलतां निद्रा नावै १०. बुद्धिवंत होइ ११. दातार गुण होइ १२. जे पाछै धर्म कथा सांभले तेहना पछवाडे घणा गुण होइ, घणा गुण बोलै १३. निंदा कोई नी न करै तथा कोई सुं ताण बैंच वाद विवाद न करै १४. ए चउदा बोल श्रोता जिन वचन ना सांभलनार ना गुण जाणवा. :
हिवै पुराण ना नाम कहै अठार १८. ब्रह्म पुराण १ पद्म पुराण २ विष्णु पुराण ३ शिव पुराण ४ भागवत पुराण ५ मार्कंडेय पुराण ६ आज्ञेय पुराण ७ नारद पुराण ८ भविष्य पुराण ९ ब्रहतवैवर्त पुराण १० लिंग पुराण ११ स्कंध पुराण १२ वराह पुराण १३ वामन पुराण १४ कूर्म पुराण १५ मच्छ पुराण १६ गरुड़ पुराण १७ ब्रह्मांड पुराण १८ एवं अठार पुराण नाम.
१३३. अथ वर्ण, गन्ध, रस अने फरस (स्पर्श) अने ए परमाणु पुद्गल ना गुण ए च्यार, शब्दे गुण किहां थी आव्यो ? शक्ति होइ ते व्यक्ति थाइ. इहां