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॥ रत्नसार ॥ (७९) कंखा उपज्या ते लक्षण समकित मोहनी -३.तथा अनंतो छै अनुबंध कर्म विपाक रस ते अनंतानुबंधिया कहिये. ए भाव.
१०८. हिवै सापेक्ष निरपेक्ष नो अर्थ कहै छै ते एकसौपाठमो प्रश्नः-सापेक्ष ते सदय परिणाम ते हलै बलद (बैल) खेड़ता कोई अपेक्षा आसरी उतावल करै, पण कोई नी अपेक्षा विना निर्दयपणे कार्य न करै, कार्य पडे पण दया राखे, ते सापेक्ष कहिये. अने निर्पक्ष ते निर्दयपणे थई कार्य करै. कार्य विना पण ताडना तर्जना करै ते निर्पक्ष कहिये. ए भाव.
१०९. हिवै सम्यकदृष्टि - एकसौनवमो प्रश्न कहै छैः-सम थयुते, निमित मांहि तो पुण्य पापना उदयनुं सम थयु, जे आवै हर्ष नहीं, पापनें उदै गये खेद नहीं. तथा सम्यक् दृष्टी ने श्युं दृष्टि मध्ये सम? ते उपादान मांहि ते राग द्वेष धारा नो सम थयां निमित मांहि तो पुण्य पाप ना उदय नो सम्य थाय