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|| रत्नसार ॥
॥ दोहा ॥ क्षयोपशम वरतें त्रिविध, वेदक च्यार प्रकार | चायक उपशम युगल जुत, नोधा समकित धार॥ १ ॥
क्षयोपशम समकित ३ तीन प्रकार नो, वेदक समकित ४ च्यार प्रकार नो, नायक समकित एक प्रकार नो, उपशम समकित एक प्रकार नो. एह नी विगत - जिहां ए सात मांहि नी ४ च्यार च श्रने २ बे उपशमै, अने १ एक वेदै ते प्रथम भेद १ . तथा ए सात मांहिली ५ पांच खपै, १ एक उपशमै, १ वेदै ते क्षयोपशम समकित नो बीजो भेद २. ए बे प्रकारे क्षयोपशम वेदक कहूं. तथा तीन प्रकार नुं क्षयोपशम समकित कहूं, एतले पांच प्रकार कह्या. ४ च्यार चयो - पशम नो, तथा ४ च्यार क्षपै ३ तीन उपशमै ते क्षयोपशम सम्यक्त १. अथवा ५ पांच चपै २ दो उपशमावै ते पिण क्षयोपशम समकित २. अथवा ६ छै क्ष ने एक उपशमावै ते पिण क्षयोपशम समकित ३. ए तीन प्रकार करी क्षयोपशम समकित कहिये.