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॥ रत्नसार ॥ (५५) हिंसा ददाति काले तथा फलमनल्पं । अन्यस्य महा हिंसा स्वल्प फला भवति परिपाके॥॥) इत्यादि ८ गाथा छै तिहां थी जोज्यो. इति. श्री हरिभद्रसूरी कृत हिंसाष्टक मध्ये छै.
८०. हिवै शास्त्र मध्ये ३ तीन योग कह्या छै ते अस्सीमो प्रश्नः-इच्छा योग १ शास्त्र योगर सामर्थ्य योग ३.ते मध्ये इच्छा योग ते दस प्रकारे यतीधर्म कह्याते आदर वानी इच्छा १.शास्त्रयोग ते शास्त्रे जे, हेय, ज्ञेय, उपादेय, तीन प्रकार कह्या छै ते मध्ये कह्य छै-जे उपादेय वस्तु कही ते आदरै ते बीजो योग२. तिवार पछी त्रीजो सामर्थ्य योग ते कोई आत्मा ज्ञाने वैराग्य बल नी समर्थ ताइ करीने अनन्त काल भोगववा योग जे कर्म ते थोड़ा काल मध्ये क्षय करै. यथा गज सुकुमाल नी परै ३. योग नो व्याख्यान योगदृष्टी समुच्चय ग्रन्थ मध्ये कह्यु छै तेथी जाणवो. इति.
८१. हिवैद्रव्य, गुण,पर्याय जे विकारै विगड्या