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॥ रत्नसार ॥ (६३) सुख प्राण ने आवरणे आउ (आयु) प्राण नीपन्यो. स्वभाविक अनंत बल वीर्य प्राण ने आवरणे मनोबल, वचन बल, काय बल, ए विभाविक प्राण नीपन्या. ए अधिकार अध्यात्मसार मध्ये का छै ए अर्थ. इति.
९२. हिवै आठ कर्म मध्ये लेश्यां किहा कर्म मध्ये छै ते बाणुमो प्रश्नः- ते लेश्या योग प्रत्यई छै अने योग ते नाम कर्म मध्ये छै.ते माटै लेश्या नाम कर्म मांहे कहै. ए भाव.
९३. हिवै वीस विहरमान जिन नं त्रांणंमो प्रश्नः-ते विहरमान तीर्थकर वर्तमान केवल ज्ञानपणै विचरै छै. तिहां केई बालक पणै,कोई राजावस्थाये होय. जिव्हारे जघन्य काले अढी द्वीप मांहि १६० एकसौ साठ विजे मांहि केतलाइक तीर्थकर होइ. १६८० एक हजार छःसौ अस्सी तीर्थंकर होइ ते किम?जघन्य काले वीस विहारमान छै ते एकेको तीर्थकर एक लक्ष पूर्वनो थाइ तिवारे बीजो तीर्थकर नो जन्म थाइ तथा गर्भ