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॥ रत्नसार ॥
आपापणे स्वरूप जाणवा. ३ तथा चोथे भेदै प्रणाम रूप नव तत्व जीव तत्वे · जीव ने जीव रूपे प्रणमै ते जीव तत्व.४इम नवे तत्वै जीव ने आपापणे रूपै प्रणमै. इम एक जीव तत्व इम एक नव तत्व नी गाथा. तथा अजीव ते जीवे आहारादि हेतु प्रणमै छै. पुण्य ते जीव ने इंद्रिय सुख नी साता रूप प्रणमै ते च्यार प्रकार जाणवी.एणी रीते श्रावक ते जीवाजीव ने जाणै.एतलें जीव जाण ने संवर,निर्जरा,मोक्ष उपादेय कीधाः-अने अजीव जाणने पुण्य पाप बंध, आश्रवबंध एतला हेय कीधा.ए रीते श्रावक जीव अजीव नाजाण कहीइ. तथा नव तत्व च्यार प्रमाण साते नयै४ च्यार निक्षेपै द्रव्य भाव भेदे भली रीते जाण्या छै जेणै ते श्रावक स्वसमय परसमय ना जाण कहिये. इति भाव. ... ६४. हिवै कर्त्तापणे कर्म, अने क्रिया तिहां ताई बंध ते चौसठमो प्रश्नः- ते कर्त्ताइ कर्भ अने क्रियाइ बंध ते किम ? जिहां जेहवो कर्त्ता,तिहां