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॥ रत्नसार ॥
६३. हिवै नव तत्व छै. ते चार प्रकारै छै. एक नव तत्व नी गाथा ते च्यार प्रकार है, तेनो अर्थ ते तिरसठमो प्रश्न कहै छैः-एक नामै नव तत्व १ बीजो गुण तत्व २ त्रीजो स्वरूपै लक्षणे ३ चौथो प्रणाम रूप नव तत्व जाणवो. ए च्यार प्रकारै नव तत्व छै तेहनो अर्थ-नामै नव तत्व (जीवाजीवा पुन्नं पावा) इत्यादिक ए नाम थी जाणवा १. बीजो गुणै, ते चेतना गुणै जीव ते किम ? असंख्यात प्रदेशी अनंत गुणमय ते शुद्ध चेतना गुण, तथा वरणादि गुणवत् अजीव में पांचे अजीव द्रव्य ना गुण जे रीते कह्या छै तिम जाणवा. तथा ऊई गति इंद्रिय सुख ने श्रापै ते पुण्य नो गुण, अधोगति संक्लेश रूप ते पाप नो गुण, शुभाशुभ कर्म आगमन रूप ते आश्रव नो गुण, शुभाशुभ निरोध शुद्धोपयोगै रूपै संवर नो गुण,नोतन कर्म पूर्व कर्म सूं मिलै ते बंध गुण. शुभाशुभ रूप कर्म संडन रूप ते निर्जरा गुण, आत्म प्रदेश थी कर्म क्षये गुण.इम बीजो भेदर.तथा त्रीजे. भेदै ए नव तत्व