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॥ रत्नसार ॥ (४७) बीजो अनुमान प्रमाणै परोक्ष प्रत्यक्ष रूप देखै छै. ते किम ? यथा(यत्र धूम तत्र वन्ही इति न्यायात्) जिम धुंवाडो देखी ने अनुमानै दीठो अग्नि स्वरूप,तिम ए आत्मा चेतना लक्षणो जीव.चेतना ते श्युं कहीइ ? जे सुख दुख ने वेदै ते वेदनी जीव ने प्रत्यक्ष छ.ते माटे ( लक्ष्य लक्षणे ज्ञायते) लक्षण जे लक्ष दीठो. एक अंश प्रत्यक्ष सर्व प्रत्यक्ष थयो. ए रीते पिण सम्यक्त दृष्टी आत्म स्वरूप देखै. ए बीजो भेद.
७३, हिवै त्रीजी रीते सम्यक् दर्शन कहै छै ते तिरयोत्तरमो प्रश्नः-हिवै देश विरती मुनी तरतम भेदे तथा अनुभबै ते प्रत्यक्ष. जिम वस्तु विचारतां ध्यान धरतां मन विसराम पामै छै, रस स्वाद सुख ऊपजै छै, परिणाम ठरै छै, ते अनुभव प्रत्यक्ष, जिम साकरनी आस्वादता हजार मण साकर नो अनुभव थयो तिम जीव द्रव्य पोता नो सम्यक् दृष्टीये अनुभवे प्रत्यक्ष दीठे. ए तीजो भेद.
७४. हिवै सम्यक् दर्शन नो चौथो भेद स्वरूप