________________
..
प्रश्नों के उत्तर
३७२ . www.
स वाञ्चति सुधावृष्टिः कृष्णाहिमुखकोटरात् ।। अर्थात-प्राणियों का घात करके जो मूर्ख धर्म उपार्जन करने की इच्छा करता है, वह काले सांर के मुख से अमृत की वर्षा की इच्छा करता है। ... एकतः कांचनो मेरुः, बहुरत्ना वसुन्धरा ।.
एकतो भयभीतस्य, प्राणिनः प्राणरक्षणम् ॥ .... अर्थात- एक ओर सुवर्णमय मेरु पर्वत, और बहुत से रत्नों से: परिपूर्ण पृथ्वी का दान, तथा दूसरी ओर भय-ग्रस्त प्राणों के प्राणों को रक्षा करना, दोनों का फल समान है। . ___ अगस्त्य संहिता में शिव दुर्गा से कहते हैं
_ 'अहं हि हिंसको,अतः हिंसा में प्रियः इत्युक्त्वा आवाभ्यां पिशितं रक्तं सुराञ्च वर्णाश्रमोचितं धर्मविचार्यार्पयन्ति ते भूतपिशाचाश्च भवन्ति ब्रह्मराक्षसाः।'
अर्थात्- मैं हिंसक हूं, मुझे हिंसा प्यारो है, ऐसा कह कर जो व्यक्ति वर्णाश्रम के उचित धर्म को न विचार कर हम दोनों को मांस, ... रक्त और मदिरा अर्पण करते हैं,वे व्यक्ति भूत, पिशाच एवं ब्रह्मराक्षस.. होते हैं अर्थात् मर कर इन नीच योनियों में जन्म लेते हैं। . .
वैदिक धर्म के ग्रन्थों के इन उद्धरणों से स्पष्ट हो जाता है कि . . वैदिकधर्म के ग्रन्थकार अहिंसा और मांसाहारत्याग पर कितना
' अधिक बल देते हैं? अब भारत के तीसरे प्रधान धर्म बौद्धधर्म की ओर . ... दृष्टिपात कीजिए। बौद्धधर्म के एक ग्रन्थ में लिखा है- ........ .
इत एकनवते कल्पे शक्त्या मे पुरुपा हतः । । तेन कर्मविपाकेन,पादे विद्धोऽस्मि भिक्षवः ॥