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मेरु मंदर पुराण
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किन्तु उनके मुख कमल की शोभा प्रद्भुत् होते हुये भी उनकी दृष्टि कभी पर स्त्री पर नहीं जाती थी । उस देश के स्त्री पुरुष सभी सच्चरित्र होकर धर्म ध्यान में लगे रहते थे। ऐसे स्त्री-पुरुषों का वर्णन कौन कर सकता है ? अर्थात् कोई नहीं ||२२|
प्रणिनुक्क नियनार् कळाडु मामयिलनार् । मणियैमनि वेतनर्गळ वंजमिन् मनत्तिनार् ॥ पनिविला ओळ विक नर्गळ पनवर् पळिच्चवार् । कनिर्गमादर् शीलमिन्न कामरु तगयवे ॥२३॥
अर्थ - उस देश में रहने वाली वेश्या स्त्रियां उत्तम अलंकारों से प्रांकृत होकर अत्यन्त सुन्दर रूपको धारण करने वाली, मयूर के समान सुन्दर नृत्य करने वाली, रत्नाभरणों को धारण करने वाली, सारंग के समान गति वाली होती हैं । वे सभी कपटाचार मिथ्या, निदान आदि छलों से रहित, दुश्चरित्र से वर्जित सत्य शील पालने वाली, अर्हन्त भगवान् की भक्ति में परायण होती हैं । उस देशकी स्त्रियां वेश्या होने पर भी सच्चरित्र पालन करने वाली होती हैं । और सभी के साथ प्र ेम करने वाले गुणों को धारण करने वाली होती हैं ।
माया,
भावार्थ- - इस विदेह क्षेत्र में रहने वाली वेश्या स्त्रियां प्रत्यन्त सुन्दर और अलंकार सहित होती हैं । उनका शरीर रत्न के समान अथवा बिजली के समान चमकता है। जाति से वेश्या होने हर भी वे एक ही पुरुष पर दृष्टि रखने वाली होती हैं । उनकी चाल मयूर के समान, आंखें मृग के समान, कमर सिंह के समान अत्यन्त सुन्दर होती है । वे कपट तथा दुश्चरित्रता से रहित शील धर्म को पालन करने वाली भगवान् की भक्ति में मग्न रहती हैं । इस प्रकार उस देश की वेश्या स्त्रियां भी उत्तम शील धर्म का पालन करती हुई सभी के परम प्रिय होती हैं ||२३||
डेरा तरि श्रोळि इरवियन् केळ दलाल् कडे पिळावरी विरैव नालयंग ळल्लदु ॥ पडरोळि विमानत्तोडु पाइरुळ तिन्मय पोल् । बिडेयुलाबि यादियाय वेट्रिलिंग मिल्लनये ॥ २४॥
दूर
अर्थ - विशाल प्रकाश से युक्त सूर्य के समान सदैव अज्ञान रूपी अन्धकार को करने वाले अथवा रात-दिन को एक समान कर देने वाले अनन्तज्ञान रूपी प्रकाश को प्राप्त हुये जिनेन्द्र भगवान् रूपी सूर्य उस देश में प्रकाश फैलाते रहते थे तथा केवली भगवान् के मन्दिर के अतिरिक्त और कोई अनायतन का स्थान ही वहां नहीं होता । श्रर्थात् वहां पर अन्य देवों के स्थान ही नहीं होते हैं ।
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भावार्थ - उस देश में विशाल सूर्य प्रकाश के समान रात-दिन एक समान करने वाले अनन्त ज्ञान को प्राप्त हुये भगवान् जिनेन्द्रदेव के मन्दिर के अतिरिक्त वहां अन्य-मतियों
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