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मेरु मंदर पुराण
विलंबिला वास माने मताल बेथंद कुंदर् ।
ट्रस ईसिन ट्रिळिंब काळं तान् द्र रंविट्टदे पोल् ॥
मनं मन तवतु बेंड कंडुसुन वनंगि सांड |
निलं निन ट्रिळिय पिन्नं नेरिळं इगळं विट्टाळ ॥। ८६४||
अर्थ - अत्यन्त सुगंधित फूलों को स्त्रियों के माथे पर धारण करने से वे पुष्प एकदम दुर्गंधित होकर मुरझा जाते हैं और मुरझा जाने पर वे स्त्रियां उनको फेंक देती हैं । मोर एक बार फेंक देने पर कोई उसको ग्रहरण करने की इच्छा नहीं करता है । उसी प्रकार बुद्धिसेना नाम की वेश्या ने मुनि को घर के बाहर देखकर नमस्कार किया था। जब इनके मन में सम्यक्ज्ञान का प्रभाव देखा और यह देखा कि यह मुनि पद से स हो गये हैं तो अपने मन में उस वेश्या ने ऐसा विचार करके उन मुनिराज को धिक्कारा ॥ ६६४ । ।
पुगळ, वरंबाये बुध्दि शेर्न यान् तोगे तन्मे । इगळवन् केळंद कोवत् त्रिसेंव सोगतोडेमि ॥ सगँ मेडुं कुल माळं शारला मवावं तेडि । यगनग रेंड पुक्का नाव दोड्रिलामें काना ।।८६५॥
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श्रर्थ -- तत्पश्चात् वहाँ विश्चित्रमति सुनि, उस वेश्या के द्वारा की जाने वाली निंबा को देखकर मन में बुराई का विचार ठान लिया कि इस वेश्या के साथ विषयभोग करने का उपाय सोचना चाहिये और वह इधर उधर भटकने लग
कर्डमन पुरुत्तु वंदन गंधमित्तिर मँवाना ।
मुडल सुर्वे तंडु शेल्वा नुवप्प दोर् पडियि नूनें ॥ मडेवनाय् समेत्तु काटि मद मन्ननालत् । तुडि विडं बुध्दि शेर्म तभयं कुन्नि ममे ॥१८६६॥
अर्थ - वह मांस भक्षण लोलुपी एक गंधमित्र नाम का राजा था । हेय उपादेय के बिचार से शून्य हुआ वह विचित्रमति मुनि मन में विचार करता है कि इसी राजा के द्वारा मेरी इच्छा पूरी हो सकती है। इस कारण इस राजा को अपनी ओर आकर्षित कर लेना चाहिये। ऐसा विचार करके वह राजमहल में पहुँचा । और उनके रसोइया के साथ मिलकर वह मुनि अत्यन्त मधुर स्वादिष्ट मांस को लाकर उसको देने लगा । तब वह राजा रुचिकर मांस लाने वाले उस मुनि पर प्रति प्रेम करने लगा। वह राजा उस पर प्रसन्न होकर कहने लगा कि तुम इस मांस लाने के बदले में कुछ इनाम मांगो, तुम्हारी इच्छा की मैं पूर्ति करूंगा । यह सुनकर वह मूनि कहने लगा कि तुम्हारे नगर में जो बुद्धिसेना नाम की वेश्या है, उससे मेरी विषयभोग करने की इच्छा है । आप उसको पूरा कीजिये । ऐसा सुनते ही राजा ने तुरंत उस बुद्धिसेना वेश्वा को बुलाकर प्रज्ञा दी कि तुम इस विचित्रमति के साथ विषयभोग करो। तब राजा की आज्ञा मानकर वह वेश्या उस मुनि को अपने घर ले गई ।। =६६ ।।
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