________________
जीवसमास १२. सम्यक्त्व- मोक्ष में कौन सा सम्यक्त्व होता है? मोक्ष में क्षायिक-सम्यक्त्व होता है।
१३. संझा-मोक्ष संज्ञा (विवेकशील) जीव को प्राप्त होता है या असंज्ञी जीव को? मोक्ष मात्र संज्ञी जीव को ही प्राप्त होता है।
१४. आहार-मोक्ष में जीव आहारक है या अनाहारक? मोक्ष में जीव अनाहारक होता है।
इसी प्रकार अन्य तत्त्वों पर भी इन मार्गणाओं की अपेक्षाओं से विवेचन किया जा सकता है।
पन: यह विवेचन भी गाथा पाँच में बताये गये आठ अनुयोगद्वारों में से मात्र प्रथम सत्प्ररूपणा नामक अनुयोगद्वार के आधार पर किया गया है। अन्य अनुयोगद्वारों के आधार पर भी इस सम्बन्ध में विवेचन सम्भव है। जीव के चौदह भेद
आहारमध्वजोगाइएहि एगुसरा बहू भेया।
एत्तो उ उदसण्हं हाणुगमणं करिस्सामि ।।७।। गाथार्थ-आहार, भव्यत्व, योग आदि की अपेक्षा से जीवों के एक से लेकर क्रमशः दो, तीन, चार आदि अनेक भेद होते हैं, किन्तु यहाँ पर इन अनेक भेदों में से मात्र चौदह भेदों का ही वर्णन किया जा रहा है। विवेचन___ (१) उपयोग अर्थात् चेतना लक्षण की अपेक्षा से सभी जीव एक प्रकार
सार मुक्तजीव
२) आहारक-अनाहारक, सशरीरी-अशरीरी, संसारी-मुक्त, स-स्थावर आवर द्विविध अपेक्षाओ से जीवों के दो प्रकार होते हैं।
(३) भव्य, अभव्य एवं भव्य-अभव्य-व्यतिरिक्त अर्थात् सिद्ध अथवा एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय एवं सकलेन्द्रिय इस प्रकार से जीवों के तीन प्रकार भी होते है।
(४) मनोयोग, वचनयोग, काययोग तथा अयोग की अपेक्षा से अथवा स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद तथा अवेदी की अपेक्षा से जीव चार प्रकार के होते हैं।
(५) क्रोध कषाय, मान कषाय, माया कषाय, लोभ कषाय एवं अकषाय की अपेक्षा से अथवा मनुष्यगति, देवगति, नरकगति, तिर्यञ्चगति एवं सिद्धगति की अपेक्षा से जीव पांच प्रकार के होते हैं।