Book Title: Jivsamas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 268
________________ अन्तर-द्वार पुद्गल के अतिरिक्त अन्य चारो द्रव्य धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय तथा कालद्रव्य में अन्तर-काल नहीं है। ये द्रव्य स्वस्वरूप का त्याग कर पुन: उसे प्राप्त करें ऐसा कभी नहीं होता, अत: इनमें अन्तर-काल या विरहकाल नहीं हैं। छठा अन्तर-द्वार समाप्ता

Loading...

Page Navigation
1 ... 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285