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देवलोक
८ महास्रार
९ अनित
१० प्राणत
११ आरण
१२ अव्युत
१२ देवलोक
९ प्रैवेयक तथा ५ अनुत्तर विमान
जघन्यायु
उत्कृष्टायु
ग्रैवेयक
जघन्यायु उत्कृष्टायु
१७ सागरोपम १८ सागरोपम १ आदित्य
३० सागरोपम ३१ सागरोपम
१८ सागरोपम १९ सागरी
विजय
१५ सागरोपम २० सागरोपम २ वैजयन्त २० सागरोपम २१ सागरोपम ३ जयन्त
जीवसमास
३१
४ अपराजित ३१
२१ सागरोपम २२ सागरोपम ५ सर्वार्थसिद्ध इयु
तिर्यख की उत्कृष्टायु
३१ अगरोधम गरोपम
३ सागरोपम ३३ सागरोपम
३९
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३३
सौधर्मदेवलोक की परिगृहिता देवियों की जघन्यायु १ पल्योपम तथा उत्कृष्टायु ७ पल्योपम तथा अपरिगृहिता देवियों की जघन्यायु १ पल्योपम तथा उत्कृष्टायु ५० पल्योपम होती है। इसी प्रकार ईशान देवलोक को परिगृहिता देवियों की जघन्यायु १ पल्योपम से अधिक तथा उत्कृष्टायु ९ पल्योपम तथा अपरिगृहिता देवियों की जघन्यायु १ पल्योपम से अधिक तथा उत्कृष्टायु ५५ पल्योपम होती है।
बावीस सस तिनि य घास सहस्त्राणि दस य उक्कोसा |
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उपर्युक्त आयु बादरएकेन्द्रियजीवों की अपेक्षा से है। वारस अउणापनं छम्पिय वासाणि दिवसमासा य ।
पुढविदगानिलपसेयतरुसु तेऊ तिरायं च ।। २०७ ।।
गाथार्थ - पृथ्वीकाय की बाईस हजार वर्ष, अप्काय की सात हजार वर्ष, वायुकाय की तीन हजार वर्ष वनस्पति की दस हजार वर्ष तथा तेजस्काय की तीन अहोरात्र उत्कृष्ट आयु होती है।
नोट
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जलथलखहसंपुच्चिमपज्जतुक्कोस पुष्कोडीओ ।
वरिसावां चुलसीई बिसत्तरी वेव य सहस्सा ।। १०९ ।।
बेदिबाहयाणं नरतिरियाणं तिपल्लं च ।। २०८।।
गाथार्थ -- द्वीन्द्रिय की बारह वर्ष, त्रीन्द्रिय की उनपचास (४९) दिन चतुरिन्द्रिय की छः मास और मनुष्य तथा तिर्यञ्च की तीन पल्योपम उत्कृष्ट आयु होती है।
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