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जीवसमास (रज्जु) परिमाण क्षेत्र में से क्रमशः बारह, आठ, आठ तथा छ: भाग परिमाण क्षेत्र को स्पर्शित करते हैं।
विवेचन-१, मिथ्यादृष्टि-सूक्ष्म एकेन्द्रिय सर्वलोक में व्याप्त होने से ऐसा कहा गया है कि मिथ्यादृष्टि सम्पूर्ण लोक अर्थात् चौदह परिमाण क्षेत्र को स्पर्शित करते हैं।
२. सास्वादन-सास्वादन गुणस्थानवों जीव बारह रज्जु परिमाण क्षेत्र को स्पर्शित करता है। वह इस प्रकार है-- जब छठी नरक का जीव मध्यलोक में जन्म लेता है तब वह (छठी नरक से मध्यलोक तक) पांच रज्जु क्षेत्र का स्पर्श करता है तथा जब मध्य लोक से मनुष्य या तिर्यञ्च लोकान्त या ईषत् प्राग्भार पृथ्वी पर पृथ्वीकाय आदि के रूप में जन्म लेता है तब वह सात रज्जु परिमाण क्षेत्र का स्पर्श करता है।
__यह स्पर्श समान गुणमा व्रती जो नी .क्षा से, स जीव की अपेक्षा से नहीं है। सास्वादन गुणस्थानवी जीव अधोलोक में नहीं जाता।।
३. मिनदृष्टि - तृतीय गुणस्थानवी जीव चौदह रज्जु में से आठ रज्जु का स्पर्श करता है। इसमें एक ही जीव आठ रज्जु परिमाण क्षेत्र को स्पर्श करता है। वह इस प्रकार है- जब कोई अच्युतदेवलोकवासी मिश्रदृष्टि जीव अपने भयनपत्ति मित्र को स्नेह से अच्युत देवलोक ले जाये तब उसे छ: रज्जु की स्पर्शना होती है। इसी प्रकार जब कोई मिश्रदृष्टि सहस्रार (पाँच रज्जु) देवलोक वाला देव अपने मित्र (नारकी जीव) की वेदना शान्त करने हेतु तीसरी नरक (तीन रज्जु) में जाता है तब वह मिश्रदृष्टि आठ रज्जु क्षेत्र का स्पर्श करता हैं। इससे ऊपर के देव अल्प स्नेह वाले होने से मित्र की पीड़ा शमनार्थ नीचे नहीं आते।
४. अविरत सम्यग्दृष्टि-यह भी पूर्वोक्त अनुसार आठ रज्जु क्षेत्र की स्पर्शना करता है। किन्तु प्राप्तिकार के अनुसार अविरतसम्यग्दृष्टि बारह रज्जु परिमाण क्षेत्र की स्पर्शना करता है। वह इस प्रकार-- मध्यलोक से अनुत्तर विमान में जन्म लेने वाले या वहाँ से च्युत होकर मध्यलोक में जन्म लेने वाले जीव सात रज्ज परिमाणक्षेत्र का स्पर्श करते हैं तथा मध्यलोक से छठी नरक एवं छठी नरक से मध्यलोक में जन्म लेने वाले अविरत सम्यग्दष्टि पाँच रज्जक्षेत्र की स्पर्शना करते हैं। इस प्रकार ऊपर में अनुत्तर विमान तक तथा नीचे में छठी नरक तक जाने के कारण अविरत सम्यग्दृष्टि जीवों को बारह रज्जु परिमाण क्षेत्र का स्पर्श होता है। सातवों नरक में सम्यक्त्व सहित जाने एवं सम्यक्त्व सहित आने का प्रज्ञप्ति में निषेध किया है अत: छठी नरक तक मानना चाहिए।