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क्रम समुद्घात का किसको
नाम
वेदना
६.
१६०
१.
३.
४.
19.
२.
५.
कषाय
वैक्रिय
तैजस्
मारणान्तिकी सर्वछवस्थ अन्तर्मुहूर्त आयुष्यकर्म के
जीवों को
कारण
आहारक
केवली
सर्वस्वस्थ अन्तर्मुहूर्त असातावेदनीय जीवों को कर्म के कारण
से।
सर्वस्वस्थ अन्तर्मुहूर्त चारित्र मोहनीय जीवों को कर्म के कारण
नारकी, चारों प्रकार
के देवों,
| तिर्थज्व
पञ्चेन्द्रिय
जीवसमास
समुदघात यन्त्र
कितना किस कर्म के परिणाम
समय
कारण
एवं छद्यस्थ
मनुष्यों को
एवं छद्मस्थ
मनुष्यो को
व्यन्तरदेव अन्तर्मुहूर्त
ज्योतिष्क देव
नारळी, पंचे.
न्द्रियतिर्यञ्चों
चतुर्दश
पूर्वधर
मनुष्यों को
अन्तर्मुहूर्त वैक्रिय शरीर
नामकर्म के
कारण
अन्तर्मुहूर्त
तैजस शरीर नाम कर्म के कारण
आहारक शरीर नामकर्म के
कारण
केवलज्ञानी आठ समय आयुष्यकर्म के
मनुष्यों को
अतिरिक्त तीन अघाती कर्मों के
कारण।
असातावेदनीय कर्म वर्गणाओं की निर्जरा
चारित्र मोहकर्म की कर्म वर्गणाओं की
निर्जरा
| आयुष्यकर्म
निर्जरा
की
वैक्रिय शरीर नामकर्म के पूर्वबद्ध कर्म पुद्गलों की
निर्जरा तथा नवीन कर्म पुद्गलों का
ग्रहण |
तैजस् शरीर नामकर्म के पुद्गलों की निर्जरा |
शरीर
आहारक नामकर्म के कर्म
पुद्गलों की निर्जरा |
आयुष्यकर्म के - अतिरिक्त शेष तीन अघाती कर्म वर्गगाओं की निर्जरा!
(व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र)