________________
सत्पदनरूपणाद्वार
विवेचन-मूल अर्थात् जड़ ही है बीज जिसका वह मूलबीज है, यथाकमल का कांड। अग्रभाग ही जिसका बीज हो वह अग्रबीज है, यथा--- कोरन्टक नागरवेल। पर्व (गांठ) ही है बीज जिनका ऐसा गन्ना पर्वबीज है। कन्द हो है बीज जिनका वे कन्दबीज हैं, यथा— सूरन, आलू आदि। स्कन्ध ही है बीज जिनका, ऐसे मय डील होते हैं, जैसे-.. , मेंही। ज से उगने वाली वनस्पतियाँ जैसे- गेहूँ, मूंग, धान चनादि बीजरुह हैं। उपर्युक्त समस्त प्रकारों से भित्र, भूमि, जलादि में अपने आप (स्वतः) उत्पन्न हो जाय ऐसी काई आदि सम्भूछिम वनस्पति कहलाती है। प्रत्येक तथा अनन्तकाय ये दोनों बादर वनस्पति काय के भेद हैं।
प्रत्येककाय-जिसके प्रत्येक शरीर में एक जीव की स्वतन्त्र सत्ता हो, बह प्रत्येक वनस्पति है। यथा- गेहूँ, चना, आम आदि।
अनन्तकाष- एक ही पिण्ड में जहाँ अनन्त जीव हों वह अनन्तकाय कहा जाता है, यथा— शकरकन्द, मूली आदि।
कंदा मूला छल्ली कट्ठा पत्ता पचाल पुष्फ फला।
गुच्छा गुम्मा वल्ली तणाणि तह पव्वया व ।।३५।।
गाथार्थ- कन्द, मूल, छाल, काष्ठ, पत्ता, अंकुर, फूल, फल, गुच्छा, गुल्म, बेल, घास, पर्वज ये सभी वनस्पतियों के भेद हैं।
विवेचन- कन्द अर्थात् समूह। जो जमीन के अन्दर पिण्ड रूप में होती हैं ऐसी वनस्पत्तियाँ जमीकन्द कहलाती हैं, यथा— सूरन आदि। मूल-वृक्ष आदि की जड़ें मूल कही जाती हैं अथवा जो मूल (जड़) पर जीवित रहते हैं, वे मूल हैं। छाल- केले आदि छाल प्रधान वनस्पति हैं। काष्ठ- खदिर आदि काष्ठ प्रधान माने जाते हैं। पत्र-- नागर, बेल आदि पत्र प्रधान वनस्पति हैं। प्रवाल अंकुर या कोपल-प्रधान हैं। फूल- जूही, चम्पा, चमेली आदि फूल प्रधान वनस्पतियाँ हैं। फल- बेर, आम आदि के पेड़ फल प्रधान हैं। गुच्छ--- जामुन आदि वनस्पतियाँ गुच्छ प्रधान है। गुल्म-- जहाँ लताओं का एक प्रासाद। जाल बन जाता है वह गुल्म कहलाता है। नवमल्लिका आदि गुल्म प्रधान वनस्पतियाँ हैं। बेल- ककड़ी बेल प्रधान वनस्पति है। घास- श्यामक (ब) घास प्रधान वनस्पति है। पर्व अर्थात् गाँठ- गन्ना गाँठ प्रधान वनस्पति है।
कन्द के नाम-उत्तराध्ययन सूत्र (३६/९६-९९) में जमीकन्दों के नाम इस प्रकार बताये गये हैं.- हिरिलीकंद, सिरिलीकंद, जावईकंद, कदलीकंद, प्याज, लहसुन, कन्दली, कुस्तुबक, लोही, स्निहू, कुहक, कृष्ण, वनकंद, सूरकंद, अवकर्णी, सिंहकरणी, भुसुंडी, हरिद्रा (हल्दी), आलू, मूली शृंगबेर (अदरक) आदि।