________________
परिमाण-द्वार - उतने काल की एक अद्धापल्यापम आहत हैं। इसके भी या पद हैं(१) स्थूल (बादर) उद्धार पल्योपम (२) सूत्रम उद्धारपल्योपम। बादर उद्धारपल्योपम
और सूक्ष्म उद्धारपल्योपम में अन्तर यह है कि जहाँ बादर उद्धार पल्यापम में प्रति समय एक बालाग्न निकाला जाता है, वहा सूक्ष्म उद्धारपल्यापम में उन बातों के असंख्य खण्ड करके भरा जाता है और फिर प्रति समय एक एक खण्ड निकाला जाता है। (अ) बादर उद्धार पल्योपम
तत्तो समए सपए एक्केक्के अवहियम्मि जो कालो। संखेज्जा खलु समया वायर- उद्धारपल्लमि।। १२०।।
गाथार्थ-उस खड्डे में से एक ... एक समय में एक-एक बालाग्र निकालने पर जब वह खड्डा खाली हो जाये - वह बादर उद्धार पल्योपम है। उसमें संख्यात समय होते हैं।
विवेचन- इतने अधिक बाल निकलने में भी जो संख्या होगी उस संख्यात ही कहेगे, असंख्यात नहीं; क्योकि निश्चय से तो बाल संख्यात है अत: संख्यात समय में वे निकल जायेगें। यहाँ बालों को खण्डित, टुकड़े नहीं करने के कारण बादर (स्थूल) शब्द का प्रयोग किया गया है। (आ) सूक्ष्म उद्धार पल्योपम
एक्कक्कमओ लोमं कटुमसंखेज्जखंडमहिस्सं । समछेयाणंतपएसियाण पल्लं भरेज्माहि।।१२१।। तत्तो समए समए एक्कक्के अवाहियाम्म जो कालो। संखेनवासकोडी सुझुमे उद्धारपल्लम्मि।।१२२।।
गाथार्थ- क्रम से एक-एक बाल के असंख्य अदृश्य खण्ड करें, वे टुकड़े परस्पर समान हों, अनन्त प्रदेशी हों, उनसे उस पल्य को भरें फिर उस पल्य में से एकसमय में एक-एक बालान का खण्ड निकालने में जो अवधि लगे उसे सूक्ष्म उद्धारपल्योपम काल कहते हैं। यह सूक्ष्म उद्धारपल्योपम भी संख्यात करोड़ वर्षों का ही होता है। १२१/१२२ । उद्धार सागरोपम
एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया। तं सागरोधमस्स उ एक्कस्स भवे परीमाणं ।। १२३।।