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परिमाण-द्वार २. सूक्ष्म क्षेत्र पाल्योपम- इसमें बालानी के असख्यात एस खण्ड किये जायें जो दृष्टि के विषयभूत पदार्थ की अपेक्षा असंख्यात भाग सूक्ष्म परिमाण वाले हो एवं सूक्ष्मपनक जीव की शरीरावगाहना से असंख्यात गुणा सूक्ष्म हो। उन बालाओं से जो आकाश प्रदेश स्पृष्ट हो और स्पृष्ट न हो- यहां दोनो प्रकार के प्रदेशों को ग्रहण करना, उनमें से प्रतिसमय एक-एक आकाश प्रदेश का अपहरण किया जाय तो जितने काल में वह पल्य सर्वथा रहित हो जाय उसे सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम कहते हैं। क्षेत्र सागरोपम
एएसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया। तं सागरोवमस्स उ एक्कास भवे परीमाणं ।। १३२।।
गाथार्थ-- इस प्रकार के बादर (स्थूल) एवं सूक्ष्म पल्योपम को दस कोटा कोटि (दस करोड़ दस करोड़) से गुणित करने पर एक बादर तथा सूक्ष्म सागरोपम का परिमाण होता है।
विवेचन- तीनों पल्योपमों तथा तीनों सागरोपमों का विवेचन हम गाथा ११७ के विवेचन में कर आये हैं।
उद्धार-उद्धार का अर्थ प्रतिसमय से है। प्रति समय बालाग्र या बालखण्ड निकालने पर खाली होने में लगने वाला समय बादर या सूक्ष्म उद्धार पल्योपम है।
अद्धा-प्रत्येक १०० वर्ष में बालाग्र या बालखण्ड निकालने पर खाली होने में लगने वाला समय बादर या सूक्ष्म अद्धा पल्योपम है।
क्षेत्र- पूर्वोक्त कुँए में भरे हुए बालनों या बालाग्न खण्डों से स्पर्शित या अस्पर्शित जो भी आकाश प्रदेश हो उनमें से प्रतिसमय एक-एक आकाश प्रदेश का अपहरण करने पर खाली होने में जो काल लगे वह बादर या सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम है।
___सभी पल्योपमों को दस कोटा-कोटी से गुणा करने पर सागरोपम • बनता है।
यद्यपि बादर क्षेत्र पल्योपम तथा बादर क्षेत्र सागरोपम व्यवहार में उपयोगी नहीं होता, फिर भी ऋमिक वर्णन के कारण इसका कथन किया गया है। अब उपयोग में आने वाले सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम एवं सूक्ष्म क्षेत्रसागरोपम का कथन करते हैं -