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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.२ ५.१९ नारकाणासुच्छ्वासादिनिरूपणम् २५२ कइलेस्साओ पन्नताओ' नैरयिकाणा कति-कियत्संख्यकाः लेश्याः प्रज्ञप्ताःकथिताः ? इति प्रश्नः, अगवानाह-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'एक्का काउलेस्सा पनत्ता' एका एकैव कापोतलेश्या प्रज्ञप्ता रत्नममा नारक जीवानामेका कापोतलेश्या भवतीति । एवं सकरप्रभाए बि एवं शर्करामभायामपि यथा रत्नममा नारकाः कापोतलेश्यावन्तस्तथैव शर्कराममा नारका अपि कापोतलेश्यावन्तो भवन्तीति । 'बालुरप्पभाए पुच्छा' वालुकामभायां पृच्छा हे भदन्त ! बालकाप्रभायां तृतीयनरक पृथिव्यां नारकाणी कतिलेश्या भवन्तीति पृच्छया संगृह्य ते प्रश्नः, भगवानाह--'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! दो लेस्साओ पन्नताओं वालुकाप्रभा नाराणां द्वे लेश्य भवतः तं जहा' तघथा'नीललेस्सा काउलेस्सा बनीललेवा हापोतलेक्शा च 'तत्थ जे काउलेस्सा ते बहुतरणा' तन-त्यो ईमध्ये ये कामोरलेश्यास्ते बहुतरा अधि का उपरितन इस रत्नप्रभा पृथिवी के लैधिों को कितनी लेश्याएं कही गई है ! उत्तर में प्रभु कहते हैं-गोयला! एकमा काउलेस्ला पन्नता' 'हे गौतम! रत्नप्रभा पृथिवी नरमिकों के क्षेवल एक ही कापोत लेश्या कही गई है-'एवं लक्करमाए घिसी प्रकार ले शर्करापमा के नारकाजीकों के भी केवल एक कापोत लेश्या ही होती है 'बोलु. यप्पभाए पुच्छा' हे भदन्त ! चालुकाममा के नरमिकों के शितनी लेश्याएं होती है ? उत्तर प्रनु कहते हैं-'गोया! दो लेस्साओ पत्नत्ताओ' 'हे नौतर ! बाल काममा के नैरधिज्ञों के दो लेश्याएं होती-तं जैहले-लीला कारल्ला 'लील लेश्या और कापोत लेश्या' 'लत्थ जे झालेला से बहुतरा' इनमें जो पापोत लेश्या बाले हैं ये अधिक हैं-जयो कि उपरितन मानवी नारकों को ण का लेस्वामी पन्नतामो' 80 AM RAHE पृथ्वीना नैशिकार કેટલી વેશ્યાએ કહી છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ ગૌતમસ્વામીને કહે છે કે 'गोयमा ! एकमा काउदेस्सा पणत्ता' गौतम! नमसा श्वाना नथिकान ठेवणसे पातोश्री ही छ 'एव' सक्करप्पभाए वि' से प्रभार શકેરાપ્રભ પૃથ્વીના નારજીને પણ કેરળ એક કપોત લેશ્યાજ ોંય છે. 'चालुयप्पभाए पुच्छा' से 'महत | पादु क ना नविन टी अश्यायालाय छ १ मा प्रशन उत्तरमा सु ? 'गोयमा ! दो लेना ओ पन्नत्ताओ' 3 गौतम ! 'दु४ मा पृथ्वीना नयिकोने में बेश्य से। डायछे. 'त' जहा'तमा प्रमाणे छे 'नीटलेसा काउल्लेस्साय' नीरसेश्या भने पातश्या, 'तस्थ जे काउल्लेस्सा ते बहुतरा' मामा रेसा अपात