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जीवामिगमस्त्रे श्वापदविशेषः, 'सियालाइ वा' शृंगाल इति वा 'विडालाइदा' विडाळ इति वा, सच मार्जारः 'मुणगाइ वा' शुनक इति वाल च श्वा 'कोलसुणगाड चा' कोलशुनक इति वा स च ग्रामस्करः 'कोकंतियाइ वा कोन्तिका, सा या रानी 'को को' शब्द करोति 'लोमडो' इति प्रसिद्धा 'ससगाइवा' शासक इति वा 'खरगोस' 'ससळा' इति प्रसिद्धः 'चित्तलाइ वा' चित्रल इतिचा, चित्रल: चित्रवों मृगाकारो द्विखुरः पशुविशेषः, 'चिल्लगाइ वा चिल्लक इति वा-श्वापद पशुविशेषः, एते तंत्र भवन्ति विम् ? भगवानाह-हंता अस्थि' इन्त, गौरन ! एकोहक द्वीपे सिंहादयः सन्ति किन्तु 'नो चेव ण ते अण्णरणरस तेसि वा एणुयाण' नैव खलु हैं। 'अस्थि णं भंते ! एगोरुथ दीवे दीदे सीहाइ वा बरघाइ वा दिगाइ का दीधियाइ वा अच्छाइ वा पररसराइ वा तरच्छाइ चालियालाइ वा, विडालाइ दा सुणगाति वा कोलसुणगांतिघाकोतियादा सस. गाति था, चित्लाति वा चिल्ललगाति घा' हे भदन्त ! एकोसक द्वीप में सिंह होते हैं क्या? व्याघ होते हैं क्या? मेडिया-धूक होते हैं क्या? दीपी-चीता होते हैं क्या ? अच्छ-बाल-होते हैं क्या ? परासर-गेंडा होता है क्या? तरक्ष-मृग को खाने वाले रिपक जानवर विशेष-होते क्या? सियाल होते हैं क्या? पिडाल होते हैं या शुक-कसे-होते हैं क्या? कोल शनक-ग्राम स्कर-गंड सूर-होते क्या? रात्रि में 'कोको' शब्द करने वाली कोकंतिका-लोमडी-होती है क्या? शशकखरगोशहोते हैं क्या ? चित्रल-चितफादर जंगली जानवर जो मृग के आकार का दोखुर वाला होता है वे सर्व प्राणियहां होते हैं क्या? और चिल्लकश्वापद पशु विशेष होते हैं क्या ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैंहे गौतम । 'हंता अस्थि हां, ये सब जानबर यहां होते हैं । परन्तु-'नो 'अस्थि ] भंते ! एगोरूय दीवे दीवे सीहाइ वा, वधाइ वा, विगाइ वा, दीवियाइ वा, बच्छाइवा, परस्सराइ वा, तरच्छाइ वा, सियालाइवा, विडालाइवा, सुणगाति वा, कोलसुणगातिवा, कोक तियाइवा, ससगातिवा, चित्तलातिवो, चिल्ललगातिवा,' 8 ભગવન એકરૂક દ્વીપમાં સિંહ હોય છે ? વાઘ હોય છે? ભેડિયા–અર્થાત નાર (ાય છે? ચિત્તાઓ હોય છે ? રીછે હોય છે? ગુંડાઓ હોય છે ? તરચ્છ મૃગોને ખાનારક હિંસક પશુ વિશેષ હોય છે? શિયાળિયા હેય છે? બિલાડાઓ હોય છે? કુતરાઓ હોય છે? ભુંડ હોય છે ? રાતમાં ‘કેકો” એવા શબ્દો કરવાવાળી કડી ત્યાં હોય છે? સસલાઓ હોય છે? ચિત્રલ ચિત કાબર જંગલી જાનવર જે મુગના આકારનું બે ખરીયોવાળું હોય છે, તે ત્યાં સર્વપ્રાણિ હોય છે? અને ચિલલક શ્વાદ પશુ વિશેષ હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभुश्री ४ छ है 3 गौतम ! 'हंता अस्थि' ! ! ! नपरेत्यो डाय