Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 835
________________ प्रमेयधोतिका ठीका प्र.३ उ.३ सू.५२ जगत्या पनवरवेदिकायाश्चवर्णनम् ८११ कलेवरसंघाटाः मनुष्यशरीरयुग्मानि नानामणिमयानीत्यर्थः 'जाणामयारूवा' नानामणिमयानि रूपाणि रूपकाणि 'णाणामणिखया रूचसंघोडा' नानामणिमया रूपसंघाटाः रूपयुग्मानि नानामणि मयानीति । 'कामया एक्खा पक्खबाहा ओय' अङ्कमयाः पक्षाः अङ्को रत्नविशेष स्तन्मया पक्षास्तदेकदेशाः, पक्षवाहनश्च 'जोतिरसामया वंसा वंसक वेल्लुया य' ज्योतीरसमया वंशाः ज्योतीरसं नाम रत्नं. तन्मया वंशाः, महान्तः पृष्ठवशाः, ज्योतीरसमयानि वंशकवेल्लुकानि च वंशाश्व कवेल्लुकानि, तत्र महता पृष्ठवंशानामुमयत स्तियक स्थाप्यमानाः वंशाः कवेल्लुकानि लोकप्रसिद्धानि 'रयया मईओ पट्टियाओ' रजतमय्यः पट्टिकाः वंशानामुपरि मणिमयकलेवरसंघाडा' तथा मनुष्य शरीर सुम्स-स्त्री पुरुष की जोडी के जो चित्र बने हुए है वे भी अनेकविध मणियों से बने हुए है 'नाणामणिमया रूवा' रूप-मनुष्य चित्रों के अतिरिक्त जो और भी चित्र हैवे सब भी अनेक प्रकार के मणियों के बने हुए है इसी तरह 'णाणा. मणिमयारूव संघाडा' रूपसंघाट-अनेक जीवों की जोडी के चित्र भी अनेक प्रकार की मणियों के बने हुए है । 'अंकलया पक्खा पक्खबाहा ओय' इसके पक्ष आजू बाजू के भाग-अङ्करत्नों के ही बने हुए है। 'जोतिरसामयावंसा' वंशा बडे २ पृष्ठवंश इसके ज्योतिरस नामक रत्न के बने हुए है। 'वसकवेल्लुयाय' वंशकवेल्लम-बडे पृष्ठवंशों को स्थिर रखने के लिये उनकी दोनों ओर तिरछे रूपले लाये गये बांसभी ज्योतीरत्न के ही बने हुए है । 'रयघामईनो पहियानो' बांसों के ऊपर के छपरे पर दी जाने वाली लंबी लकडी के स्थानापन्न रखी हुई जो पट्टिकाएं है वे चांदी की बनी हुई है। 'जातरूममधीभो ओहाउणीओ' कंधाओं को बांकने के लिये जो उनके ऊपर अवघटिनिया જેડકાના જે ચિત્રો બનેલા છે, તે પણ અનેક પ્રકારના મણિયોના બનેલા છે. 'णाणा मणिमया रूवा' ३५-मनुष्य मित्रान। ३५ शिवाय भाग २ यित्री छ, ते मध! मने प्रारना भयोन मा छे. 'णाणामणिमयारूव संघाडा' ३५ સંઘાટક અનેક જીવોની જેડીના ચિત્ર પણ અનેક પ્રકારના મણીથી भने छे. 'अंकमया पक्खा पक्रवाहाओय' ना ५७सानुमानाला से म' २त्नाना मना छे. 'जोतिरसामया वसा' 'शा मोटा मोटा वशी ज्योतिरस नाभना नाना मनेा छे. 'वस कवेल्लुयाय' शકહુક-મોટા વંશને સ્થિર રાખવા માટે તેની બને બાજુમાં તીછપણુથી રાખવામાં આવેલ વાંસ પણ ચેતી રત્નના જ બનેલા છે. 'रययामईओ पट्टियाओं' पांसानी 6५२ छ।५२। ५२ रामपामा भावना दणी વળીયેની જગ્યાએ રાખવામાં આવનારી જે પટી છે, તે ચાંદીની બનેલી છે.

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