Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 904
________________ ८८० जीवामिगमस्से दाहिण उत्तरागतेहिं वातेहि' पू परदक्षिणोत्तरागतैर्वातैः कदाचित्पूर्शदागतः कदाचित्पश्चिमादागते कदाचिदक्षिणादागतः नाचिदुत्तरादागी युमिरित्यर्थः, 'मंदायं मंदाचं एयाणं वे इया गं' या मन्दं मन्दं स्यात् तया-पजि. तानां कस्पितानाम् व्यजितानाम्, विकोपेण पितानाम् खोभिया ' क्षोभितानाम् स्वस्थानाच्च लतानाम् । एतदेव वस्तु पर्यायशब्देनापि पुनः कथयति-'चालिशाणं' चालिानाम् इतस्तो विक्षिशानाम् एतदेव पर्यायेण व्याचष्टे-'फंदयाणं' पन्दितानाम् ईपच्चलितानाम्, स्वस्थानात् चालनं कुतस्तत्राह-'घटियाण' घटिकानाम् परस्परसंघहितानाम् 'उदी रियाण' उदी. रिवानाम्, उन्-प्राबल्येन ईरितानाम्-प्रेरितानाम्, एतादृशानां तृगालाम् 'केरिसए सद्दे एकत्ते' शीश:-HTER: शब्दः प्रज्ञा कीशो ध्वनि भवति, किमाणावरतूनां यादृशः दो यति सादृशः शन्दरतेषां तृणानां भवति तदेव दर्शयति-'से जहा णागए' तयथा नामकम् 'सिवियाए वा शिविकरके अघ भनके शब्द रशरूपका वर्णन कर ले गहां श्रीगौतमस्वामी पूछते हैं-'तेलिणं ते तणाणं मणीण य पुव्यावर दाक्षिण उत्तरागतेहिं वातेहिं 'हे बदन्त ! हम तृणों और मणियों का जन्य पूर्व पश्चिम दक्षिण और उत्तर से आनेवाले वायु प्रों से थे 'मंदायं मदाय एव्याण वेइयार्ण कंपियाण' मंदवंद व से रिपत किये जाते है विशेषतः कम्पित किये जाते हैं कार चार सम्पिन किये जाते है खोभिधाण चालियाण फंदियाणं घट्टियाणं' क्षोभिन किये जाते है चलाए जाते है स्पंदित किये जाते है परस्पर संवपित किये जाते 'उदीरियाणं' उदीरितकिये जाते है जबर्दस्ती से प्रेरित किये जाते है उनका करिसए सद्दे पण्णत्ते-क्या आगे कहे जाने वालो शिविका आदि वस्तुओं के शब्द जैमा शब्द होता है, क्या यही दलाते है 'से जहा जामए सिवियाएवा' पूछे छे , तेलि ण ते ! तणाणं मणीणय पुवावरदाहिणउत्तरागतेहि पातेहि है मगन से तुमने भणियोनी २५० पूर्व, पश्चिम क्षिय भन. उत्त२ हिशाणेथा मावावाणा पवनथी 'मदाय मदाय एइयाणं वेइयाणं कपियाणं' भ भ पy थी ४५.वामां आवे छे, विश५३५थी पित ४२ वामां भाव छ, पार२४पित ४२वामा भाव छे. 'खोभियाणं चालियाणं फदियाणं પરિશri ભિત કરવામાં આવે છે હલાવવામાં આવે છે, સ્પંદિત કરવામાં मावळे ५२६५२ सघर्ष या ४२वामां आवे छे 'उदीरियाणं मीत ४२वामा भाव, मसात् प्रेरित ४२वाभा मावेत मते तना शो 'केरिसए सद्दे पण्णत्ते' मा वाम भावना शिमि वि२ १२तुमाना राम ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924