Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 889
________________ - - प्रमैयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ २.५३ वनषण्डादिकवर्णनम् ____ उदये सविता रक्तो, रक्तश्चास्तमयेऽपि चेति । 'संझन्भरागेइ वा' सन्ध्या . भ्रराग इति वा वर्षाकाले सन्ध्यासमयभावी अभ्ररागः 'गुंजद्धराएइ वा' गुञ्जा. राग इति वा, तत्र गुञ्जा लोकपसिद्धा तस्या अर्द्धरागो यो रक्तो भागः गुञ्जा. दंरागा, गुञ्जाया उपरितनाई मागः कृष्णो भवति, निम्नभागस्तु अतिरक्तो भवति, ततो गुजार्द्धग्रहणम् 'जाति हिंगुलएइ वा जात्यहिंगुलुक इति वा 'सिल. पवालेइ वा' शिलापवालमिति वा, शिलामबालनामा रक्तरत्नविशेषः, 'पघालं कुरेइ वा प्रवालाकुर इति वा तस्यैव प्रवालनामक रत्नविशेषस्याङ्कुरः भवालाकुरा, स खलु प्रथमोद्गतत्वेनात्यन्तरक्तो भवति तत स्तदुगदानमिति । 'लोहितक्ख मणीति वा' लोहिताक्ष मणि रिति वा, रक्तवर्णो मणिविशेषो लोहिताक्षमणिगिति। 'लाक्खारसएइ वा' लाक्षारस इति घा, लाक्षा खलु लोकपसिद्धा, तस्या रसः, 'किमिरागेइ वा कृमिराग इति वा 'रत्तकंबलेह वा' रक्तकम्बल इति बा, 'चीनरेवा' जैसा लाल बाल दिवाकर होता है जैसे कहा है 'उदये महिना रक्तो रक्तश्चास्तमयेऽपिच' सूर्य उदय समय में तथा अस्त के समय में भी लाल ही होता है 'सजभरागेइ था' जैसा लाल वर्षाकाल में संध्यासमय का अनुराग होना है 'गुंजद्धराएइ वा' जैसा लाल गुंजा का-रत्तीका-अर्द्ध भाग का रंग होता है। 'जातिहिंगुलेह वा' जेसा लाल शिलापवाल-चाल नामका रत्न विशेष होता है-'पवालं कुरेइवा' जैसा लाल प्रवालाङ्कर होता है प्रवाल को पलका अङ्कर प्रथमो द्गत होने से अत्यन्त लाल होता है इसीलिये यहां उसे दृष्टान्त. कोटि में रखा गया है 'लोहितक्खमणी वा' जैला लाल लोहिताक्ष. माण होता है 'लक्खारसेहवा' जैसा लोल लाक्षारत होता है । 'किमिरागेह वा' जैसा लाल कृमिराग होता है 'रत्तकंबलेह वा' जैला लाल रक्त रेइवा' २१ साल माहवार-सूर्य हाय छे. मधु छ ? 'उदये सविता रको रक्त श्वास्तमयेऽपिच' सूर्य ना हयना समये सने २१२1ना समये ५९ २ तास राय छे. संजभरागेहवा' सिनी सध्या समयन। २ । साराय छे. 'गुजद्धरागेइवा' -२तिना स सागने। २ । तालय छ, 'जाति हिंगलेश्वा' सत्य हगणना २० रवा खास डाय छे. 'सिलप्पवालेइवा' शिक्षाप्रवास प्रस नामना नविशेष २ ana ाय , पवालकुरेइवा' प्रवासना म १२२। वय साद હોય છે, પ્રવાલની કુંપળનો અંકુર પહેલાજ નીકળેલ હોવાથી ઘણેજ લાલ डाय छे. तेथी गडियां ते दृष्टांत तरी हा ४२० छ. 'लोहितक्खमणी इवा' alsक्षमा २७ साल 8य छ, 'लक्खारसेइवा' साक्षा२स को सास जी० १०९

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