Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयधोतिका का.म.उ. ३ तु.५३ वनपण्डादिकवर्णन ___ ८३१ सोएइ वा सेयकणवीरेइ वा सेयबंधुजीवेइ वा, भवेएयारूवे लिया ? णो इणटे समटे, तेसिणं सुकिल्लाणं तणाणं मणीणय एत्तो इहतराए चेव जाव वण्णेणं पण्णते ॥ तेसिणं अंते ! तणाण य मणीण य केरिसए गंधे पन्नत्ते ? से जहा णामए कोटपुडाण वा पत्तपुडाण वा चोयपुडाण वा तगरपुडाण का एलापुडाण वा चंदणपुडाण वा कुंकुमपुडाण बा उसीरपुडाण वा चंपगपुडाण मरुयगपुडाण वा दमणगपुडाण वा जाइपुडाण वा जुहियापुडाण वा मल्लियपुडाण वा पहाणमल्लियपुडाण वा वासंतियपुडाण वा केयईपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा अणुवालि उभिज्जमाणाण य णिभिजमाणाण य कोट्टेजमाणाण य रुविजमाणाण य उकिरिजमाणाण य विकिरिजमाणाण य परिभुजमाणाण य भंडाओ वाभंडं साहरिज्जमाणाणं ओराला मणुण्णा घाणमणणिव्वुइकरा सवओ समंता गंधा अभिणिस्सबंति, भवेश्यारूचे सिया ? णो इणटे समढे, तेसि णं तणाणं मणीण य एत्तो इतराए थेव जाव मणामतराए चेव गंधे पण्णत्ते। तेलि णं भंते तणाण य मणीण य केरिसए फाले पन्नते, से जहाणाभए आईइ वा रूएइ वा बूरेइ वा णवणीएइ वा हंसगब्भतूलीइ वा सीरीसकुसुमणिचएइ वा वालकुमथपत्तरासीइ वा भवेयारूने लिया? जो इगट्रे समठे, तेसि णं तणाणं य म्हणीण य एत्तो इतराए चेव जाब फासे पन्नत्त॥ तेलिणं भंते ! तणाण पुवावरदाहिण उत्तरागतेहिं वाएहिं मंदायं मंदायं एइयाणं वेइयाणं कंपियाणं खोभियाणं चालियाणं फंदियाणं घट्टियाणं उदीरियाणं केरिसए सद्दे पन्नते? से जहाणामए सिबियाए संदमाणियाए वारहवरस्स वा सछत्तस्स सज्झयस्स सघंटयस्स सतोरणवरस्स सगंदिघोसस्स सखिखि.

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