Book Title: Jivajivabhigamsutra Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 860
________________ ૮૩૬ जीवामिगमसूत्रे गद्यं पद्यं कथ्ये पदवद्धं पादवद्धसुक्षिकं प्रवृत्तकं मन्दं रोचितावसानं सप्तस्वर समन्वागतमष्टरससुपयुक्त पदोपवनमुक्तमेकादशगुणालङ्कारमष्टगुणोपेतम्, गुजद् वंशकुइरोपगूढम् रक्तं त्रिस्थान करणशुद्धं मधुरं समं सुललितं सकुदरगुज द्वंशतन्त्रसंप्रयुक्तं तालसुसंयुक्तम्. वालययम्, लयसुसंयुक्त ग्रहसंयुक्त' मनोहरं मृदुकरिभितपदसञ्चारं सुरति सुनति वरचारुरूपं दिव्यं गेयं प्रगीतानाम्, भावः स्यात् ? इन्द्र गौतम । एवं भूतः स्यात् ० ५३॥ टीका- 'ती से णं जनईए उपिं तस्याः खल्ल जगत्या' माकार कल्पाया उपरि 'बाहिं परमवरवेडयाए' यहि पद्मदरवेदिकायाः- वहिदेव प्रदेश: 'एत्थ णं एगे महं चणसंडे पन्नत्ते' अत्र अस्मिन् खलु यहानेको वनपण्डः मज्ञप्तः कथितः उत्तमोत्तमानामनेकजातीयानां वृक्षाणां समुदायो वनपण्डः, तदुक्तम्'गजाइ रक्खेटिं वर्ण अणेगजाहहिं उसमे रुक्खेहिं णसंदे' 'एक जातीयैर्वृक्षैवनम्, अनेकजातीयैरुत्तमे वृक्षेर्वनपण्ड इतिच्छाया || इस तरह से पद्मचर वेदिका शब्द की प्रवृति का निमित्त प्रकट करके अब सूत्रकार उस में जो बनखण्ड आदिक है उन्हें दिखलाने के लिये सूत्र कहते है । 'तीसे णं जगईए उप्पि बाहिं परमवरवे दिure एत्थ णं' इत्यादि । टीकार्थ - उस मकार कल्प जगती के ऊपर वर्तमान पद्मवर वेदिका के बाहर जो प्रदेश है उस प्रदेश में 'एगे महं वणसंडे पण्णत्ते' एक विशाल बनखण्ड है जहां पर अनेक प्रकार के उत्तमोत्तम वृक्षों का समुदाय होता है उल स्थान का नाम वनखण्ड है तदुक्तम्- 'एकजाइए हि रूक्खेहिं वणं अणेगजाइएहिं उत्तमेहिं खेहिं वणसंडे' एक जाति के के वृक्ष जिस स्थान पर होते हैं उसका नाम वन है। और अनेक जाति के वृक्ष जिस स्थान पर होते है । उसका नाम वनखण्ड है 'देखूणाई આ રીતે પદ્મવર વેદિકા શબ્દની પ્રવૃત્તિનુ' નિમિત્ત પ્રગટ કરીને હવે સૂત્રકાર તેમાં જે વનખંડ વિગેરે છે તે બતાવવા નીચે પ્રમાણે સૂત્રકહે છે. 'तीसे णं जगतीए उपि वाहि परमवरवेश्याए एत्थ णं' इत्यादि ટીકા-એ પ્રકારના જગતીની ઉપર વમાન પદ્મવરવેદિકાની બહારના ने प्रदेश छे मे प्रदेशमा 'एंगे मह' वणस डे पण्णत्ते' मे४ विशाल वनखंडछे. જ્યાં અનેક પ્રકારના ઉત્તમેાત્તમ વૃક્ષેાના સમુદાય હાય છે. એ સ્થાનનુ' નામ वन' हे 'तदुक्तम् - एकजाइएहि रुक् खेहिं वणं अणेगजाइएहि उत्तमेहि' रुक्खेहिं' व्रणस'डे' भेठ लतना वृक्षों के स्थानपर हाय थे, तेतुं नाम वन छे. અને અનેક જાતના વ્રુક્ષા જે સ્થાન પર હાય છે તેનું નામ વનખંડ છે.

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