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जीवामिंगम
नाह-'जो इणडे मम?' नायमी समर्थः, महायुद्धा दारभ्य कुलक्षयाधनार्यान्ता आपदः एकोलसद्वीपे न भवन्ति यतः 'धगयरोगायंकाणं ते मणुयगणा पणत्ता 'समणाउसो' व्यपगतरोगातकार, व्यपगता विनष्टा रोगा ज्वरादयः आतङ्काः सद्यो
घातिशलादयो येभ्यस्ते तथा ते मनुजगणा: ममताः -कथिता, हे श्रमणायुष्मन् || ___'अस्थि णं भंते । एगोरुयदीवे दी यस्ति खल भदन्त ! एकोरुकद्वीपे द्वीपे 'अइवासाइ या' अतिवर्ष इति वा, अतिवर्षः-वेगतः प्रमाणतोऽधिकं जलपनिमित्यर्थः 'मंदवासाइ वा मन्दवर्ष इति वा, मन्दवर्षः शनैः शनैः प्रयोजनादल्पं वा दर्प गट, 'सबुट्टीइ चा सुवृष्टिरिति वा, धान्यादिनिष्पचिगुणयुक्ता सष्टिरिति । 'दुव्बुद्दी का' दुर्वृष्टिरितिवा धान्यायनिष्पत्तिहेतुका, 'उच्चाहाइ वा' उद्वाह इति वा, उत्कर्षेण जलवहनम् पाहाइ वा प्रवाइ इति वा प्रवाहो जलपूरः 'दगुल्भेउपद्रव-होते है क्या ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं 'जो इणट्टे सम?' हे गौतम ! ये चन्द्र ग्रह से लेकर धनक्षयान्त आपत्तियां एकोषक द्वीप में नही होती है। क्योकि 'ववगयरोगायंकाणं ते मणुयगणी पण्णत्ता सम णाउसो' हे श्रमण आयुष्मन् । वे मनुष्य रोग एवं आतङ्क से रहित होते है। 'अस्थि णं अंते ! एगोरुष दोवे दीवे अतिवासा वा' हे भदन्त ! एको र द्वीप में अस्धन देश में होने वाली अतिवृष्टि होती है क्या ? 'भेद वाम्मातिवा' भेद वृष्टि धीरे धीरे होने वाली प्रयोजन से कम वृष्टि होती है क्या ? 'सुवहीवा' सुवृष्टि-धान्यादि सीनिष्पत्ति करने वाली वृष्टि वरसाद होती है क्या ? 'दुवुट्टीइवा' धान्यादिकी निष्पन्ति नहीं करने अथवा अपश्योजिका वृष्टि होती है क्या ? 'उन्याहाति वा जिस वर्षा से पानी का प्रवाह बहुत उचेर स्थानों तक पहुंच जावे ऐसी वृष्टि होती है
मा प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री णो इणटे समटे हे गौतम ! 21 આ ઈદ્રગ્રહથી લઈને ધનક્ષય સુધીની આપત્તિ એકરૂક દ્વીપમાં હતી નથી
भो 'क्वगयरोगायकाणं ते मणुथ गणा पत्ता समणाउसो' श्रम भायुभन તે મનુષ્ય રેગ અને આતક વિનાના હોય છે
'अस्थि णं भते ! एगोरुय दीवे दीवै अतिवासाइवा' सन् ! ३४द्वीपमा गपू थनारी अतिवृष्टि थाय छ ? 'भेदवासातिवा' Age धीमे धाम थनारी प्रयोगनथी माछी वृष्टि थाय छ १ 'सुवुद्रीइवा' धान्य विगैरेनी उत्पत्ति ४२पापाजी वृष्टि १२साह थार छ ? दुवुद्रीइवा' धान्याहिनी पत्ति न ४२वावाणी अथवा प्रयन पिनानी वृष्टी थाय छ ? 'उव्वाहातिवा' २ १२साथी પાણીને પ્રવાહ ઘણે ઉચે સુધી પહોંચી જાય તેવે વરસાદ થાય છે ? _ 'पवाहाइवा' २ १२साथी पीनु ५२ मावी लय मेव! १२साह थाय छ ?