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प्रमैयद्योतिका रक्षा प्र.३ उ.३ पृ.४२ डिवडमर-कलहादि निरुपणम् ___६७५ वा' रत्नवर्ष इति घा, 'वहरवासाइ वा' वज्रवर्पः, ही निघा, 'आभरणा साइ वा' आभरणम्-अलङ्कारस्तस्य नर्ष इति का 'पत्तवासाइ वा पत्राणां वर्ष इति वा, 'पुप्फवासाइ वा' पुष्पवर्षे इति बा, 'फलासाइ चा' फलदृष्टिी 'वीयवासाइ वा' बीजदर्प इति बा, 'मल्लयाप्साह वा' माल्यर्ष इति वा 'गंधवासाइ वा' गंधवर्ष इति वा-गन्धद्रव्यस्य वर्पणम् वणवासाइ वा' वर्णवर्ष इति वा, विलेपनवर्षणम् 'चुण्णदासाइ वा चूर्णवर्ष इति वा, गन्धद्रव्यचूर्णवर्पणम्, 'खीरवु.
द्वीइ वा क्षीरवृष्टिरिति वा, क्षीरसहशजलस्य वृष्टिरित्यर्थः, विशेषतो वर्पणं वृष्टिः, _ 'रयणवुट्टीइ वा' रत्तवृष्टिरिति वा, हिरणवुट्टीइ वा हिरण्यवृष्टिरति वा, 'सुवण्णवुट्ठीइ वा' सुवर्णदृष्टिरिति वा, 'तहेब जाच चुण्णबुट्ठीइ वा' तथैव यावत् चूर्णष्टिरिति वा, अत्र याल्पदेन सुवर्णदृष्टि, रत्नवृष्टिः, वज्रष्टिः, आमरणदृष्टिा, तथा-पत्र पुष्प फलवीजमाल्यगन्धवर्णवृष्टिना संग्रहो भवतीति । 'सुकालाइ वा' वासाइवा' रत्लों की वर्षा होती है ? 'वहरवासाइवा' वन्न हीरों की वर्षा होती है 'आभरणवासाइदा आमरणों की वर्षा होती हैं ? 'पुप्फपासाह वा' पुष्पों की वर्षा होती है ? 'फलबासाइ वा फलों की वर्षा होती है ? 'वीयवासाइ वा वीजों की वर्षा होती है ? 'मल्लवासाइ वा' मालाओं की वर्षा होती है ? 'गंधवाला ' गन्ध गन्धद्रव्य की वर्षा होता है ? 'घण्णवालाइ था' रिलेपन-पिष्ट द्रव्य विशेष की वर्षा होती है ? 'चुणवासाइ वा द्रव्य के चूर्ण की वर्षा होती है? 'खीरखुट्ठीह का दृध की वृष्टि होती है ? 'हिरण्णवुट्टी का हिरण्य-चांदी की दृष्टि होती है ? 'सुक्षपणहीइ चा सुवर्ण की दृष्टि होती है। तहेछ जाव चुणवुडीइ चा यावत् चूर्ण की दृष्टि होती । यही यावत्पद से रस्न वृष्टि आदिकों का ग्रहण हुआ है। वर्षा में सामान्य रूप से वृष्टि 'वइरवासाइवा' १०१ हीरानी परसाई याय छ १ 'आभरण वासाइ वा मासरयानी १२सा थाय छे? 'पत्तवासाइवा' पाना माना परसाई याय छे 'पुप्फवासाइवा'
पानी १२साह थाय छ ? ‘फल वासाइवा' सानो १९सा थाय? 'बीयवा साइवा' मीनन। १२साह थाय छ ? 'मल्टवाग्राइव।' भासामान। १२साई याय छ १ 'गंधवासाइ वा अन्य द्रव्योन। १२सा थाय छे ? 'वण्णवासाइवा' विपन पिष्ट द्र०य (पी) विशेषना १२साह थाय छ ? 'चुण्णवासाइवा' गन्धद्रव्यनायूचना परसाई थाय छ ? खीरखुट्टीइवा' धनी १२साह थाय छ ? 'रयणवुट्टीइपा' २.नाना १२सा थाय छ १ 'हिरण्णबुट्टीइ वा' Cि२९५ याहीन। १२साह थाय छ १ 'सुवण्णवुद्दीइया' सोना। ५२साह थाय छ ? 'तदेव नाव चुण्णवुट्ठीइवा' થાવત્ ચૂર્ણને વાત થાય છે. અહિયાં પાસ્પદથી રતનટિ વિગેરે પદે