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जीवामिगमत्र चउम्मुहमहापहप हेसु' श्रृङ्गाट कत्रिकचतुष्कचत्वरचतुर्मुखमहापथपथेषु 'णगरगिद्ध मणसुसाणगिरिकंदरसंतिसेलोवट्ठाण भवणगिहेसु' नगरनिधमनश्मशानगिरिकन्दरसच्छे कोपस्थानभवनगृहेपु. हिरण्यसुवर्णादिबहुमत्पद्रव्याणि 'संनिक्खित्ताई चिट्ठति' सन्निक्षिप्तानि तिष्ठन्ति किम् ? इति प्रश्ना, भगवानाह-'णो इणढे समझे' नायमर्थः समर्थः नैतानि अय आफरादीनि एकोरुक द्वीपे भवन्तीति भावः।
एकोरुकमनुनानां स्थिति दर्शयितु प्रश्नन्नाह-'एगोरुयदीवे गं' इत्यादि, 'एग्ररुयदीवे णं भंते ! दीवे' एकोरुकद्वीपे खलु भदन्त । द्वीपे 'मणुयाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?' मनुनानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता-कथितेति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'जहन्ने] पलिओवमस्स असंखेज्जइ भाग असंखेज्जइमागेण ऊगर्ग' जघन्येन पल्योपमस्यासंख्येयभागम् मार्ग बाले रास्ते हैं 'चक' चार मार्ग वाले रास्ते है। चत्वर चतुर्मुख मार्ग है और महापथ रूप मार्ग है। उनमें एवं 'णगर णिद्धमणसुसाणगिरिकंदरसेलोवट्ठाण भवगिहेसु' नगर की नाली गटर में श्मशानों में गिरि एवं गिरि की कन्दराओं में ऊंचे पर्वत इत्यादि स्थानों में 'सनिक्खित्ताई चिटुंति' द्रव्य गड़ा हुआ होता है ? इसके उत्तर में प्रभु श्री कहते है-हे गौतम ! 'णो इणढे सम?' यह अर्थ समर्थ नहीं है-अर्थात् पूर्वोक्त प्रश्न की विषय भूम कोइ भी वान वहां नही होती है और न ग्रोमादिकों में कहीं पर भी घन गड़ा हुआ रहता है। __ अव सूत्रकार एकोहक द्वीप के मनुष्यों की स्थिति कहते हैं-'एगोरुय दीवेणं भंते दीवे मणुपाणं केवतियं कालंठिई पण्णत्ता' हे भदन्न एक रुक 'छीप के मनुष्यों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर में
छे, 'तिग वउचिच्चर चउम्मुहमहापहेसु' ४ि मा वा २स्तामा हाय છે. ચાર માર્ગવાળા રસ્તા છે. ચત્વર ચાર રસ્તા ભેગા થતા હોય તે ચેક तथा मा५५ ३५ भागमा तथा ‘णगरणिद्धमणमुसाणगिरि कंदरसेलोवट्ठाण भवणगिहेसु' नगनी नाव गटरमा स्मशानामा त मे 'तानी शुशमामा
या ५ विगैरे स्थानामा 'स'निविखचाई चिट्ठति' हटाये धन डाय छे। सा प्रशन उत्तरमा प्रसुश्री गौतभाभीन ४७ छ , 'णों इणठे समटे है ગૌતમ ! આ અર્થ બરાબર નથી. અર્થાત્ પૂર્વોક્ત પ્રશ્ન સંબંધી કઈ પણ વાત ત્યાં હોતી નથી. તેમજ ગામ વિગેરેમાં કયાંય પણ ધનદટાયેલું હોતું નથી
હવે સૂત્રકાર એકરૂક દ્વીપના મનુષ્યની સ્થિતિનું વર્ણન કરે છે. 'एगोरुयदीवणं भते । दीरे मणुयाण केवतिय काल ठिई पण्णत्ता' भन् એકેક દ્વીપના મનની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહેવામાં આવી છે