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प्रमैयद्योतिका टीका ६.३ उ.३ .४० ए० इन्द्रमहोत्सवादि वि. प्रश्नोत्तराः ६४५ नोत्सुकजनमेलकः 'जल्लपेच्छाइ वा जल्लनेक्षेति था, तत्र जल्ला वरना खेच्का स्तेषां प्रेक्षा-प्रेक्षणकम् 'मल्लपेच्छाइ वा मल्लपेक्षेति वा, तत्र मल्ला:-बाहुयुद्धकारिणः, 'मुद्वियपेच्छाइ वा मौष्टिकप्रेक्षेति वा, ते एव मल्लाः, मौष्टिकाः ये मुष्टिभिः प्रहरन्ति । 'विडंबगपेच्छाइ का विडम्वर प्रेक्षेखि वा वन विडस्वका:विषकाः मुखविकारादिभिर्जनहास्योत्पादकारतेषां प्रेक्षणकमिति । 'कहा पेच्छाइ वा' कथकप्रेक्षेति वा तत्र करकाः सरसकथा कथनेन अं तृणां रसोत्पादकास्तेषां प्रेक्षणकम्, 'पवगपेच्छाइ वा लगमेक्षेति वा, तत्र प्लवकास्ते ये झम्पादिभिर्गवा दिकमुत्प्लवन्ते नद्यादिकं वा वरधि से उत्तीदि लड्चन कारिण इत्यर्थः 'अक्खायग पेच्छाइ वा' आख्यायकप्रेक्षेति वा-आख्यान्न शुभाशुभमिति-माख्यन्यकास्तेषां का मेला भरता हैं क्या ? 'जल पेच्छाह वा वरत्रा-डोरी पर खेलने बालों के खेल को देखने वालों का मेला अरता है क्या? 'सल्लपेच्छाह वा' भुज युद्ध करने वाले मल्लो के भुज युद्ध को देखने के लिये मनुष्यों का मेला भरता है क्या ? 'बुष्टिय पेच्छाह वो' खुष्टि युद्ध करने वालों के मुष्टि युद्ध को देखने का मनुष्यों का मेला भरता है क्या ? 'विडंग पेच्छाइ वा मुख विशार आदि विविध विक्रियाओं द्वारा मन. व्यों को हसाकर चित को बिनादित करले थाले चिदूषक जनों की चेष्टाओं को देखने के इच्छुक जनो का मेला भरला है क्या? हग पेच्छाइ वा सरस कथा के कहने श्रोताओं को रसोत्पादन करने वाले कथक जनों की प्रथाओं को सुनने के लिये भक्त मानवों का मेला भरता है क्या? 'पवा पेच्छाह बा' प्लवकजनों की उछल कूद को देखने वालों का मेला रस्ता क्या ? 'अवखाया पेच्छाह बा' शुभा शुभ का आख्यान करने वालों की जो लमा भरती है, उसका नृत्याना भाटे वाण येता मनुष्याना भी सराय छे ? 'जलपेच्छा જવા’ ગરવા દેરી પર ખેલ કરવા વાળાઓના ખેલને જેવાવાળાઓને મેળે मराय छे? 'मल्लपच्छाइवा' पाहु युद्ध ४२वा मसान माई युद्धन नेपा भाटे मनुष्याना भेजे। सराय छ ? 'मुट्टियपेच्छाइवा' मुष्टियुद्ध ३२१। पाणसाना मुष्टियुद्धने लेवावाणा मनुष्याना भेजो सराय छे १ 'विड़बगपेच्छा રૂવા” મુખવિકાર વિગેરે અનેક પ્રકારની વિકિયાઓ દ્વારા મનુષ્યોને હસાવીને ચિત્તને પ્રસન્ન કરવાવાળા વિદૂષક જનની ચેષ્ટાઓને જેવા ઈછનારા मनुष्याना भी सराय छ ? 'कहगपेच्छाइ वा' सु२ था। उवामा શ્રેતાઓને રસ ઉપજાવનારા કથક જનની કથાઓને સાંભળવા માટે भरत। ३५. मनुष्याना मी सराय छे ? 'पवग पेच्छाइवा' 6 ४२२पा मनुष्यानी नेनारामान भी सराय छे ? 'अक्खायग