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जीवामिगमन त्रसका यिकानां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः, भगवानाइ-'गोयमा' हे गौतम | 'तसकाइया चउबिहा पन्नत्ता' सकायिशाश्चतुर्विधाश्चतुः प्रकारका प्रज्ञप्ता: -कविता इति । 'तं जहा' तद्यथा:-'ये दिया तेइंदिया चउरिदिया पंचें दिया' द्वीन्द्रि शास्त्रीन्द्रिपाश्चतुरिन्द्रियाः पञ्चेन्द्रिया इति । 'से कि वेइंदिया' अथ के ते द्वीन्द्रियाः द्वीन्द्रिय जीवानां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः, भगवानाइ हे गौतम! 'इंदिया अणेगविहा पन्नत्ता' द्वीन्द्रियजीवा अनेकविधा:-अनेकप्रकारकाः मनप्ताः-कथिता इति । 'एव चेव पण्णवणापदे तं चेत्र निरवसेसं भणियन्त्रं जाव सबट्टसिद्धपदेवा' एवमेव प्रज्ञापना प्रथमे पदे कथितं तथैव निरवशेष-समग्रमपि भणितव्यं वक्तव्यम् यावत् सर्वार्थसिद्धदेवाः, द्वीन्द्रियादारभ्य सर्वार्थसिद्धदेव पर्यन्तानां होपभेदयुक्तानां प्रज्ञापनाप्रकरणवदेव ज्ञातव्यमिति । 'से अणु त्तरोवाइया' ते एते अनुत्तरोपपातिका देवा निरूपिताः। 'से तं देवा' ते एते 'से किं तं तसफाइया' हे अदन्त !त्रसकायिक जीवों के कितने भेद हैं ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हे गौतम! 'तसकाइया चाउम्यिहा पण्णत्ता' प्रसकायिक जीव चार प्रकार के हैं-'तं जहा' जैसे-'वेइंदिया, तेइंदिया, चरिदिया, पंचे दिया' दोइन्द्रिय तेइन्द्रिय, चौइन्द्रिय, और पञ्चेन्द्रिय 'से कि तं वेइंदिया' हे भदन्त ! दो इन्द्रिय जीवों के कितने भेद हैं ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हे गौतम ! 'वेइंदिया अणेगविहा पण्णत्ता' दो इन्द्रिय जीवों के अनेक भेद हैं एवं चेव पण्णक्षणा पदे तं चेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव सम्वसिद्धगदेवा' इन सब का वर्णन प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में किया गया है अतः यह सब वर्णन द्वीन्द्रिय जीवों के वर्णन से लेकर सर्वार्थ सिद्ध के देवों के वर्णन तक का यहां पर प्रज्ञापना से लेकर कर लेना चाहिये वहां इनका वर्णन भेद प्रभेदों तसकाइया' मगन सयि ७वाना ४८सा हो या छ. मा प्रश्नना उत्तरमा प्रसुश्री गौतमस्वामीन में 'गोयमा ! तसकाइया चउबिहा पण्णत्ता' 3 गोतम ! यि या२ ५४२ना हा छ. त जहा' रेभो 'बेईहिया, तेइंदिया, चउरिदिया, पचे दिया' मेद्रियाणा वी, ऋद्रिय વાળા છો, ચાર ઈંદ્રિય વાળા જી અને પાંચ ઈદ્રિય વાળા જી 'से कि त वेइदिया' है सावन मेद्रिय व वाना हो ४ा छ १ मा प्रशन उत्तरमा असुश्री गोतमत्वामीन थे 'गोयमा! बे दिया अणेगविहा पण्णत्ता' गौतम! मे ४ द्रियवाणा वा भने प्रारना वा छे. एवं चेव पण्णवणा पदे त चेव निरवसेस भाणियव्व जाव सव्वद सिद्धगदेवा' આ બધા જીવેનું વર્ણન પ્રજ્ઞાપના સૂત્રમાંથી લઈને કહી લેવું જોઈએ. ત્યાં તેઓનું વર્ણન ભેદ પ્રભેદે સહિત ઘણા વિસ્તાર પૂર્વક કરવામાં આવેલ છે.